बेंगलुरू, १९ नवंबर । नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने शनिवार को कहा कि स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित और समावेशी हिंद-प्रशांत बनाए रखने में भारतीय नौसेना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। नौसेना व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करते हुए अपने प्रयासों में निरंतर धैर्यवान बनी रहेगी। सिनर्जिया कान्क्लेव 2023′ में हिंद-प्रशांत की चुनौतियां और आगे का रास्ता विषय पर एक सत्र को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा, भारतीय नौसेना दोस्तों को साथ लाने और समग्र समुद्री सुरक्षा के लिए आम चिंताओं को दूर करने के लिए एकजुट होकर कार्य करती है। हम बहुत ही प्रतिस्पर्धी वर्तमान से अनिश्चित भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। नौसेना अपनी ओर से हिंद-प्रशांत में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करते हुए प्रयासों में निरंतर व धैर्यवान रहेगी। अगर नौसेना को भारत और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हितों को सुरक्षित रखना है तो समुद्र की सुरक्षा अनिवार्य हो जाती है। कुमार ने कहा, हम मानते हैं कि कोई भी इसे अकेले नहीं कर सकता है और हमें समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ सहयोग करने की जरूरत है। भारतीय नौसेना समुद्री क्षमता को मजबूत करने के लिए समान विचारधारा वाली नौसेनाओं के साथ सहयोग कर रही है। हम स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित और समावेशी हिंद-प्रशांत का समर्थन करते हैं, जहां किसी भी देश को बाहर नहीं किया जाना चाहिए। हमारी विश्वसनीयता इस तथ्य से मजबूत हुई है कि हम रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भर हो रहे हैं, खासकर पोत निर्माण के मामले में। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को भूराजनीतिक घटनाक्रम और उन्नत तकनीक के कारण तेजी से बदले एक ऐसे परिवेश में काम करना होगा, जिसके लिए संगठनात्मक ढांचे के साथ-साथ मानसिकता में भी लचीलेपन की जरूरत होगी। सिनर्जिया कान्क्लेव 2023′ में वैश्विक भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों पर वर्चुअल संबोधन में उन्होंने कहा, आज अपनाया गया रास्ता तय करेगा कि भारत 2047 में कहां होगा। भारतीय सशस्त्र बलों को ऐसे माहौल में काम करना होगा जो भूराजनीतिक घटनाक्रम और प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण तेजी से बदला है।जनरल चौहान ने कहा कि हमें इस परिवर्तनकारी पथ पर आगे या सबके बराबर रहने के लिए अन्य देशों के साथ सैन्य मामलों में संपूर्ण क्रांति लाने में सक्षम होना चाहिए।, उन्होंने कहा कि हमारा संरचनात्मक ढांचा विविध क्षेत्र में अभियान चलाने में सक्षम होना चाहिए। सही संतुलन के जरिये एकीकृत त्वरित प्रतिक्रिया के लिए उन्हें व्यवस्थित होना चाहिए। उन्हें विशिष्ट, उभरती व विघटनकारी तकनीक को आत्मसात करने और इसका उपयोग करने के प्रति पर्याप्त रूप से लचीला और अनुकूल होना चाहिए। चौहान ने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए राष्ट्रों के संघर्ष में शामिल होने की बढ़ती प्रवृत्ति का भी जिक्र किया। उन्होंने अफगानिस्तान, इराक और यूक्रेन का उदाहरण भी दिया।