कोलकाता, २० दिसम्बर ।
फर्जी पासपोर्ट रैकेट के सिलसिले में बुधवार को कोलकाता पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र के संविदा कर्मचारी दीपंकर दास के गैजेट्स से बरामद किए गए डेटाबेस से जांच अधिकारियों को जाली भारतीय पहचान दस्तावेजों के प्राप्तकर्ताओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। जांच अधिकारियों ने लगभग 30,000 व्यक्तियों (मुख्य रूप से बांग्लादेशी) के नाम प्राप्त किए हैं, जिनके लिए दास ने फर्जी भारतीय पहचान दस्तावेज, मुख्य रूप से जाली पासपोर्ट तैयार किए थे। जांच अधिकारियों ने पहले ही इन व्यक्तियों का विवरण पुलिस स्टेशन स्तर पर अपने समकक्षों को प्रसारित कर दिया है ताकि उनके ठिकानों का पता लगाया जा सके। फर्जी भारतीय पहचान दस्तावेजों के अलावा जांच अधिकारियों ने दो प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के जाली दस्तावेज और एक विशेष यूरोपीय देश के वीजा भी जब्त किए।
पिछले रविवार से फर्जी पासपोर्ट रैकेट के सिलसिले में बंगाल के विभिन्न इलाकों से कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस गिरोह का सरगना समरेश बिश्वास और उसका पुत्र रिपन बिश्वास है, जो पुलिस की गिरफ्त में हैं। गिरफ्तार किए गए पांच लोगों में से दो संविदा पीओपीएसके कर्मचारी हैं, जिनमें से एक दीपंकर दास और दूसरा दीपक मंडल है।जांच अधिकारियों को संदेह है कि संविदा कर्मचारियों के अलावा भारतीय डाक विभाग के कुछ स्थायी कर्मचारियों का भी ऐसे रैकेट से संबंध हो सकता है जो मुख्य रूप से बांग्लादेश के साथ राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे गांवों से संचालित होते हैं।
जांचकर्ता इस मामले में कई डाकघरों के साथ पासपोर्ट सेवा केंद्रों की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं।कोलकाता पुलिस का कहना है कि फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल कर बांग्लादेशी घुसपैठिए फ्रांस, इटली और अन्य देशों तक पहुंच गए हैं। इस बारे में पुलिस ने विदेश मंत्रालय को भी जानकारी दी है। कोलकाता में फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले गिरोह का राजफाश करते हुए पुलिस ने पिछले कुछ दिनों में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
इनमें डाकघर के दो संविदा कर्मचारी भी शामिल हैं। पुलिस का अनुमान है कि फर्जीवाड़े में कई और लोग शामिल हो सकते हैं।