
साहिबाबाद, २८ नवंबर ।
तीन दिन पहले खोड़ा थाने पहुंचा 30 साल पहले अगवा किया गया युवक राजू बुधवार को अपने स्वजन तक पहुंच गया। अखबार में प्रकाशित खबर देखकर स्वजन खोड़ा थाने पहुंचे थे। बहन और मां ने सिर पर चोट के निशान, और सीने पर तिल भी देखा। मां और बहन की राजू को देखकर आंखें भर आईं। वह मां के सीने से लिपटकर रोने लगा। स्वजन को पाकर वह मिलकर खुश था। खोड़ा थाने पहुंचा राजू का असली नाम ओमराम है। उसका आठ सितंबर 1993 में साहिबाबाद के शहीदनगर से अपहरण हो गया था। साहिबाबाद कोतवाली में इसका मुकदमा पिता भीमसिंह ने दर्ज कराया था।पुलिस की जांच में सामने आया है कि अपहरण के बाद भीम सिंह को एक चि_ी मिली थी। जिसमें सात लाख 40 हजार रुपये की फिरौती मांगी गई थी। इसके बाद बदमाशों से कोई संपर्क नहीं हुआ था। राजू ने बताया था कि उसे ट्रक में डालकर कुछ लोग ले गए थे।पुलिस ने बताया कि मंगलवार शाम को अखबार में प्रकाशित फोटो और खबर राजू के चाचा ने देखी और स्वजन को जानकारी दी। राजू की दो बहनें, मां और पिता खोड़ा थाने पहुंचे। बहन को देखकर राजू पहचान गया और बचपन के नाम से बुलाया। मां ने भी बेटे को कलेजे से लगाया और अपने आसूं नहीं रोक पाईं, लेकिन पिता उसे पहचानने से इनकार करते रहे।
इसपर सभी वापस चले गए।बुधवार दोपहर को वह स्वजन का इंतजार करता रहा। बुधवार दोपहर में उसके चाचा भोजराज, मामा का बेटा सुरेश और दो अन्य रिश्तेदार मिलने पहुंचे। भोजराज ने पुलिस को बताया कि राजू के पिता ने उसे अपनाने से इनकार कर दिया है। लिहाजा उसे घर नहीं ले जा सकते। काफी समझाने के बाद रिश्तेदार राजू को अपने साथ ले जाने के लिए तैयार हो गए और शाम को उसे लेकर थाने से रवाना हो गए।राजू ने बताया कि उसे आरोपी खेत के बीच बनी झोपड़ी में रखते थे। भेड़ बकरी चराने का काम कराते थे। रात में भाग न जाए बेडिय़ों से बांधकर रखते थे। रोजाना मारते-पीटते थे। एक बार मुक्का मारकर जबड़ा और हाथ तोड़ दिया था। इससे उसका चेहरा भी टेढ़ा हो गया।
इससे उसे बोलने में कुछ परेशानी होती है। कोई बकरी या भेड़ मरजाती तो पेड़ से बांधकर यातनाएं देते थे। पूरे दिन में तीन से चार कप चाय देते थे। रात में एक रोटी खाने को देते थे।राजू ने बताया कि एक सरदार चालक ट्रक में बकरी और भेड़ लेने के लिए राजस्थान के जैसलमेर स्थित गांव पहुंचा था। बेडिय़ों से बंधा देखकर उनसे बात की तो आपबीती बताई। सरदार चालक ने उसे ट्रक में डाल लिया और दिल्ली स्टेशन पर लाकर गाजियाबाद की ट्रेन में बैठा दिया।वह दो दिन गाजियाबाद स्टेशन से निकलकर भटकता रहा। भटकते हुए खोड़ा थाने पहुंचा और पुलिस को पूरी बात बताई। तब पुलिस ने स्वजन की तलाश की।खोड़ा थाने पहुंचे 30 साल पहले अगवा हुए राजू को स्वजन से मिलवा दिया गया। साहिबाबाद कोतवाली में उसका अपहरण का मुकदमा उस दौरान पिता भीम सिंह द्वारा लिखवाया गया था।