नईदिल्ली, २४ अगस्त । केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में साफ किया कि केंद्र सरकार का उत्तर पूर्वी राज्यों के विशेष प्रविधानों में छेड़छाड़ का कोई इरादा नहीं है।जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष चल रही सुनवाई के दौरान एक अर्जीकर्ता द्वारा उत्तर पूर्वी राज्यों के बारे में संविधान में दिये गए विशेष प्रविधानों को लेकर आशंका जताए जाने पर केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्थिति स्पष्ट करते हुए यह बात कही। केंद्र सरकार की ओर से भरोसा दिलाए जाने के बाद कोर्ट ने उत्तर पूर्वी राज्यों के विशेष प्रविधानों के लेकर आशंका जताने वाली अर्जी निपटा दी। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में सिर्फ जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने पर ही विचार करेगा। उत्तर पूर्वी राज्यों के बारे में विशेष प्रविधानों का यह मामला अनुच्छेद 370 पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ के सामने चल रही सुनवाई के दौरान एक हस्तक्षेप अर्जीकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनीष तिवारी ने आशंका जताते हुए उठाया था।उन्होंने कहा था कि इस मामले का प्रभाव उस पर भी पड़ सकता है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि हमें अनुच्छेद 370 जैसे अस्थायी प्रविधान और उत्तर पूर्व पर लागू होने वाले विशेष प्रविधानों के बीच अंतर को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का उत्तर पूर्व के विशेष प्रविधानों से छेड़छाड़ का कोई इरादा नहीं है।केंद्र सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण दिये जाने के बाद प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि जब केंद्र सरकार ने कह दिया है कि उसका ऐसा कोई इरादा नहीं है तो फिर हमें आशंकाओं में क्यों जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने हस्तक्षेप अर्जी निपटा दी। कोर्ट ने कहा कि उनकी यह सुनवाई अनुच्छेद 370 तक ही सीमित है। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में बुधवार को याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस पूरी हो गई। गुरुवार को केंद्र सरकार पक्ष रखेगी। केंद्र सरकार की ओर से शुरुआत अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी कर सकते हैं। इसके बाद ऐतिहासिक पहलुओं के साथ विस्तार से मामले पर केंद्र सरकार का पक्ष सालिसिटर जनरल तुषार मेहता रखेंगे। मेहता के बाद फिर से जरूरत होने पर कानूनी मुद्दों पर अटार्नी जनरल पक्ष रख सकते हैं। इस तरह से केंद्र का पक्ष रखे जाने की जानकारी बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट को दी गई। पिछले नौ दिनों से चल रही बहस में अभी तक अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने के खिलाफ याचिकाकर्ताओं की ओर से चुनौती देते हुए बहस की गई। याचिकाकर्ताओं ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने की प्रक्रिया को असंवैधानिक और गैरकानूनी बताते हुए सवाल उठाए हैं। मामले पर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है।