कोरबा। एसईसीएल गेवरा प्रबंधन के द्वारा दिए गए उस नोटिस से शॉपिंग काम्प्लेक्स के कारोबारी खासे नाराज हैं जिसमें नए सिरे से किराया और बिजली की सुविधा के लिए एग्रीमेंट करने की बात कही गई है। सबसे अधिक आपत्ति बिजली की दरों को लेकर है। कारोबारियों का कहना है कि वे सिंगल या डबल फेस की बिजली का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में 132 केवी क्षमता के हिसाब से 11 रूपए प्रति यूनिट का भुगतान क्यों करेंगे। कारोबारियों को प्रबंधन के द्वारा एक नोटिस दिया गया है जिसमें कहा गया है कि एक सप्ताह के भीतर उन्होंने नया एग्रीमेंट नहीं किया तो पूर्वाधिकार समाप्त कर दिए जाएंगे और बिजली कनेक्शन काटने की कार्रवाई की जाएगी। कई बिंदुओं पर यह नोटिस शामिल है। कारोबारियों ने बिजली समेत अनेक प्वाइंट पर घोर एतराज जताया है। उन्होंने इस बारे में अपनी ओर से जवाब बनाकर आगे भेज दिया है। कारोबारियों का कहना है कि प्रबंधन ने 7 रुपए स्क्वायर फीट के हिसाब से दुकानें आबंटित की थी और मेंटेनेंस खुद कराने को कहा था लेकिन वर्षों से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वर्तमान में कई प्रकार की समस्याएं हैं। एसईसीएल के द्वारा बिजली सुविधा उपलब्ध कराने के एवज में अब लगभग 11 रुपए प्रति यूनिट की राशि की मांग की जा रही है जो पूरी तरह अव्यहारिक है। कारण बताया गया है कि एसईसीएल को बिजली की आपूर्ति सीएसईबी के द्वारा व्यवसायिक प्रयोजन से की जा रही है। 132 केवी क्षमता की बिजली के लिए कंपनी ज्यादा दर वसूल कर रही है जबकि दुकानदारों के द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली बिजली की कैपेसिटी सिंगल या डबल फेस की है। वर्तमान में इसके लिए व्यवसायिक दर 7 से 8 रुपए के आसपास की है। कारोबारियों का कहना है कि जब उनकी उपयोगिता ही सीमित है तो वे एसईसीएल के हिसाब से राशि क्यों देंगे। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि प्रबंधन में दम है तो सभी दुकानों के कनेक्शन काटकर दिखाए। इस बात पर भी नाराजगी जताई गई है कि एसईसीएल कालोनी में शॉपिंग काम्प्लेक्स के अलावा अन्य स्थानों पर अवैध दुकानें तैयार कर ली है और इनमें बिजली का उपयोग भी किया जा रहा है। इन कारणों से संबंधित दुकानदारों को सीधा फायदा है जबकि दूसरे कारोबारी नुकसान में हैं जिन्होंने वैध तरीके से दुकान हासिल की है। कहा जा रहा है कि अवैध कनेक्शनों के साथ जो लोग फायदा ले रहे हैं उनसे दूसरों की दुकानदारी पर असर पड़ रहा है। सवाल किया गया है कि अवैध मामलों में प्रबंधन मेहरबान क्यों है।