सिलीगुड़ी, २३ जुलाई [एजेंसी]। 15 वर्ष की आयु में बांग्लादेश से लापता हुआ मानसिक रूप से बीमार किशोर 36 वर्ष की उम्र में स्वस्थ होकर अपने देश लौट गया। दोनों देशों की कानूनी प्रक्रिया के बाद शहर से सटे फूलबाड़ी-बांग्लाबांधा सीमांत पर 21 वर्ष बाद युवक अपने माता-पिता के गले लगा। उसका नाम मतिउर रहमान है।मतिउर रहमान ने भारतवासियों से मिले प्यार और स्नेह के लिए खुद को सौभाग्यशाली माना है।
बांग्लादेश प्रवेश से पहले उसने भारतीय धरती को चूमा। उसकी आंखें डबडबा गई थी। उसके परिवार के सदस्य से खुशी के आंसू रो रहे थे।मतिउर रहमान पड़ोसी देश बांग्लादेश के ठाकुरगांव जिले के आखानगढ़ यूनियन के देबीडांगा गांव का निवासी है। उसके पिता शहिदुल इस्लाम बांग्लादेश सेना बीजीबी के अवकाश प्राप्त जवान हैं। वर्ष 2002 में उनका बड़ा बेटा मतिउर रहमान एक दिन अचानक घर से गायब हो गया। उस समय उसकी उम्र 15 वर्ष थी। खोजबीन के बाद भी नहीं मिलने पर थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई, लेकिन पता नहीं चला।इधर, वर्ष 2019 के जून महीने में एक स्वयंसेवी संगठन श्रद्धा फाउंडेशन के सदस्यों ने मतिउर रहमान को मुम्बई में बरामद किया। संस्था ने उसका बेहतर इलाज कराया और वर्ष 2022 तक वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गया।
चिकित्सकों की मदद से उसका नाम और ठिकाना जानकर संस्था ने बांग्लादेश में एक स्वयंसेवी संगठन से संपर्क साधा और उसके परिवार को ढूंढ निकाला। 21 वर्षों बाद बीते मई महीने में इंटरनेट पर वीडियो कॉलिंग के जरिए मतिउर रहमान ने अपने परिवार से बात की। परिवार ने भी उसकी शिनाख्त की।इसके बाद श्रद्धा फाउंडेशन ने भारत में बांग्लादेश दूतावास से संपर्क किया। फिर दोनों देशों के दूतावास के जरिये उसके बांग्लादेश वापस लौटाने की प्रक्रिया पूरी हुई।