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भाषा थोपने का सवाल ही नहीं, लेकिन…, NEP विवाद पर धर्मेंद्र प्रधान ने सीएम स्टालिन पर किया पलटवार
नईदिल्ली, २२ फरवरी।
नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को पत्र लिखा और उन पर राजनीतिक नैरेटिव को बनाए रखने के लिए विकासशील सुधारों को खतरों में बदलने का आरोप लगाया।तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को लिखे पत्र को खुद केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया। स्टालिन को लिखे पत्र में प्रधान ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर युवा शिक्षार्थियों के हितों के बारे में सोचना चाहिए, जिन्हें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से लाभ होगा।दरअसल, हाल के दिनों में एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने कहा कि दो केंद्र प्रायोजित पहलों समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) और पीएम श्री स्कूल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के साथ जोडऩा मौलिक रूप से अस्वीकार्य है।इस पत्र का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने सीएम स्टालिन पर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री ने तमिलनाडु के सीएम को लिखे अपने पत्र में कहा कि पीएम को भेजा गया पत्र मोदी सरकार द्वारा प्रचारित सहकारी संघवाद की भावना का पूर्ण खंडन है। इसलिए, राज्य के लिए एनईपी 2020 को अदूरदर्शी दृष्टि से देखना और अपने राजनीतिक लाभ को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील शैक्षिक सुधारों को खतरे में डालना अनुचित है। वर्तमान में तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच राज्य में एनईपी के कार्यान्वयन को लेकर विवाद देखने को मिल रहा है। तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने शिक्षा मंत्रालय पर महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए धन रोकने का आरोप भी लगाया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने पत्र में लिखा कि राजनीतिक कारणों से एनईपी 2020 का लगातार विरोध तमिलनाडु के छात्रों, शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों को इस नीति द्वारा प्रदान किए जाने वाले अपार अवसरों और संसाधनों से वंचित करता है। नीति को लचीला बनाया गया है, जिससे राज्यों को अपनी विशिष्ट शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप इसके कार्यान्वयन को अनुकूलित करने की अनुमति मिलती है। इसके अलावा तमिलनाडु द्वारा त्रिभाषा फार्मूले का विरोध किए जाने पर प्रधान ने स्पष्ट किया कि नीति किसी भी भाषा को थोपने की वकालत नहीं करती है।
उन्होंने यह भी कहा कि कई गैर-भाजपा राज्यों ने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद एनईपी की प्रगतिशील नीतियों को लागू किया है। एनईपी 2020 का उद्देश्य क्षितिज को व्यापक बनाना है, न कि उन्हें संकीर्ण करना। उन्होंने अपने पत्र में यह भी कहा कि मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि आप राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठें और हमारे युवा शिक्षार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए मामले को समग्र रूप से देखें।