चरचा कालरी। स्थानीय प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था सरस्वती शिशु मंदिर चर्चा में कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा मिली भगत कर 28 लाख रुपए की भारी भरकम राशि का गबन किए जाने का समाचार सबसे पहले तरुण छत्तीसगढ़ ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था समाचार प्रकाशन के चंद घंटे में ही चर्चा पुलिस ने विद्यालय के लाखों रुपयो के गबन के आरोपी कंप्यूटर ऑपरेटर अभिजीत प्रधान को गिरफ्तार कर लिया और जमकर पूछताछ की पूछताछ के दौरान अभिजीत प्रधान ने कई खुलासे किया जिसकी जांच चर्चा पुलिस कर रही है विस्तृत जांच पश्चात कई सफेद पोश चेहरों के नाम सामने आएंगे।
सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय के कोषाध्यक्ष रामसागर सिंह ने थाना चर्चा में उपस्थित होकर शिकायत दर्ज कराई उनके साथ डॉक्टर समीर कुमार विश्वास, बसंत लाल विश्वकर्मा आदि भी थे विद्यालय प्रबंधन समिति के द्वारा चर्चा थाने में दी गई शिकायत के अनुसार अभिजीत प्रधान जो पूर्व में उक्त विद्यालय में लिपिक ,अकाउंटेंट और कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्य था ने वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2022-23 के दौरान छात्रों से शुल्क वसूल कर लगभग 28 लाख 8490 रुपए की भारी भरकम राशि का गबन किया अभिजीत प्रधान ने छात्रों से शुल्क लेते समय छल ,कपट और धोखाधड़ी करते हुए रसीद बुक का दुरुपयोग किया और विद्यालय को इसकी जानकारी नहीं होने दी यह राशि उसने अन्य लोगों के सहयोग से गबन की है अभिजीत प्रधान दो प्रकार की रसीद बुक अपने पास रखता था हेरा फेरी के क्रम में मूल रसीद में राशि कुछ और लिखता था वही कार्बन कॉपी में बेहद कम राशि दर्शित करता था विद्यालय द्वारा की गई शिकायत पर चर्चा थाने में अपराध क्रमांक 282 / 24 धारा 408, 420, 467 ,468 ,120 बी भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की गई और आरोपी अभिजीत प्रधान को प्रथम दृष्टि में अपराध करते हुए पाए जाने पर गिरफ्तार कर रिमांड पर जेल भेज दिया गया चर्चा पुलिस द्वारा आरोपी के कब्जे से गबन की गई राशि से खरीदी गई एक मोटरसाइकिल और मोबाइल को जप्त कर लिया गया इस गंभीर प्रकरण को जल्द सुलझाने में प्रमोद पांडे थाना प्रभारी चर्चा ,सत्येंद्र तिवारी प्रधान आरक्षक ,सतीश कुमार सिंह की विशेष भूमिका रही।
7 वर्षों से लगातार कर रहा था हेरा फेरी
सरस्वती शिशु मंदिर चर्चा के तत्कालीन प्रबंधन द्वारा मनमानी करते हुए आरोपी अभिजीत प्रधान को लिपिक ,अकाउंटेंट और कंप्यूटर ऑपरेटर तीनों कार्य के लिए अधिकृत कर दिया था इस वजह से अभिजीत प्रधान मनमाने तरीके से हेरा फेरी करने लगा, 7 वर्षों तक एक ही व्यक्ति को तीनों कार्य देना निश्चित ही सुनियोजित खड्यंत्र प्रतीत होता है इसके अतिरिक्त इतनी लंबी अवधि में विद्यालय का ऑडिट रिपोर्ट में किसी भी हेरा फेरी का उल्लेख न होना भी अपने आप में सवालिया प्रश्न चिन्ह है विद्यालय के तत्कालीन प्रबंधन द्वारा विद्यालय के प्राचार्य को वित्तीय अनियमितताओं की जांच न करने देना भी दुर्भाग्यपूर्ण है इस प्रकार का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि विद्यालय प्रबंधन को दो वर्ष पूर्व हेरा फेरी की जानकारी थी तब पुलिस में रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज कराई गई ,क्या पुलिस में रिपोर्ट न करने हेतु किसी व्यक्ति विशेष का दबाव था।