राजपुर। वन अधिकारियों के मुख्यालय में नहीं रहने तथा मैदानी कर्मचारियों की लापरवाही से बलरामपुर जिले के राजपुर वन परिक्षेत्र में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। ताजा मामला अंबिकापुर- रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग पर राजपुर और पस्ता से लगे अलखडीहा गांव के नजदीक का है। एक ही रात में अलखडीहा के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे दो दर्जन से अधिक साल के बड़े पेड़ों की कटाई कर दी गई। रातों-रात साल के बड़े-बड़े पेड़ धराशाई कर दिए गए लेकिन वन विभाग को भनक तक नहीं लगी। सुबह रास्ते से गुजर रहे लोगों द्वारा सडक़ किनारे काटे गए पेड़ो को देखकर वन विभाग को सूचना दी गई।
कार्रवाई के नाम पर विभागीय कर्मचारियों ने साल की लकडिय़ों का परिवहन करा लिया है। पेड़ों की कटाई करने वालों का अभी तक पता नहीं चल सका है। वन भूमि पर कब्जे की मंशा से राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे हरे-भरे साल के बड़े-बड़े पेड़ों की कटाई किए जाने का संदेह जताया जा रहा है हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है। इस घटना में लकड़ी तस्करों के शामिल होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। पेडों की कटाई के बाद लकडिय़ों को बाद में परिवहन कराने की मंशा भी रही होगी लेकिन अवैध कटाई का मामला सामने आ जाने के कारण विभागीय तौर पर लकडिय़ों को सुरक्षित रख लिया गया है। मालूम हो कि।वन परिक्षेत्र के राजपुर सर्कल में इन दोनों लगातार साल पेड़ों की कटाई जोरों पर की जा रही है इसके अलावे वन माफिया द्वारा अतिक्रमण भी करने में लगे है। एक ही रात में दो दर्जन से अधिक साल के बड़े-बड़े पेड़ों की कटाई आसान नहीं है। सबसे बड़ी बात है कि पेड़ों की कटाई के लिए आरा मशीन का उपयोग नहीं किया गया है। टांगी से ही पेड़ों को काटने के प्रमाण मिले हैं। इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई टांगी से करने में कम से कम 12 से 15 लोग शामिल रहे होंगे।जिस स्थल पर पेड़ों की कटाई की गई है वह राष्ट्रीय राजमार्ग से लगा हुआ है। रात भर वाहनों की आवाजाही होती है। इसके बाद भी वन कर्मचारियों को इसकी भनक नहीं लगना कई सवालों को जन्म देता है। आरोप है कि वन विभाग का सूचना तंत्र भी कमजोर है।यदि सूचना तंत्र मजबूत होता तो रात में ही पेड़ों की कटाई की जानकारी वन अधिकारी, कर्मचारियों को मिल जाती। वन विभाग के अधिकारी और ज्यादातर कर्मचारी संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में निवास करते हैं। इस कारण मैदानी पकड़ बेहद कमजोर है।