शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने आयुष मंत्री यादविंदर गोमा को प्रथम दृष्टया न्याय प्रदान प्रणाली में हस्तक्षेप का दोषी मानते हुए नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने यादविंदर गोमा को प्रथम दृष्टया दोषी भी पाया है। कोर्ट ने उक्त मंत्री को जयसिंहपुर जिला कांगड़ा में कोर्ट कॉम्प्लेक्स के निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका के अन्य पहलुओं पर हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने जयसिंहपुर में राजस्व अधिकारियों के लाभ के लिए होने वाले किसी भी रूप में सभी निर्माणों पर रोक लगाने के आदेश भी जारी किए। उपायुक्त, कांगड़ा को संबंधित एसडीएम के माध्यम से उक्त पहलू के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है कि उनके द्वारा कोई निर्माण नहीं किया जा रहा है। याचिकाकर्ता बार एसोसिएशन जयसिंहपुर ने अंतरिम आदेश के लिए आवेदन दायर कर कहा था कि उक्त क्षेत्र में नायब तहसीलदार के आवास को ध्वस्त कर दिया गया है और स्थानीय विधायक, जो हिमाचल प्रदेश सरकार के आयुष, विधि एवं कानूनी, युवा सेवा एवं खेल मंत्री हैं, ने राजस्व विभाग के लिए आवासीय भवनों के निर्माण के उद्देश्य से 15 मार्च, 2025 को आधारशिला रखी है। कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मामला 29 अक्तूबर, 2024 से इस न्यायालय के समक्ष लंबित है और आवासीय परिसर के लिए निर्माण शुरू करने और आधारशिला रखने के प्रयास प्रथम दृष्टया न्याय प्रदान प्रणाली में हस्तक्षेप करने के समान हैं।