जांजगीर – चांपा। बाल मंदिर यह वह स्थान है जहां छोटे – छोटे बच्चे खेल खेल में पढऩा सिखते हैं। मगर जिला मुख्यालय के वार्ड 15 में बाल मंदिर जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है और कभी भी भरभराकर गिर सकता है जिससे यहां पढऩे वाले बच्चों की जान पर आपुत आ सकती है। मगर जिला प्रशासन और नगर पालिका के जिम्मेदारों को इससे कोई सरोकार नहीं है। न तो यहां से बाल मंदिर को स्थानांतरित किया जा रहा है और न ही कोई दूसरा विकल्प निकाला जा रहा है। बाल मंदिर शिक्षा में आगे बढऩे की पहली सीढ़ी है। लेकिन नगर पालिका जांजगीर – नैला के वार्ड 15 में पुराना कालेज परिसर में गांधी चौक के पास संचालित बाल मंदिर जिला प्रशासन, नगर पालिका और जनप्रतिनिधियों और समाज सेवियों की निष्क्रियता की भेंट चढ़ गई है। बाल शिक्षा मंदिर की नींव 2 फरवरी 1968 को मध्यप्रदेश के तत्कालीन खाद्य मंत्री रामेश्वर प्रसाद शर्मा ने रखी थी। इस बाल मंदिर में पढऩे वाले उस समय के बच्चेे विभिन्ना शासकीय सेवाओं में अपनी सेवा देकर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इतने सालों बाद भी बाल मंदिर को देखकर वे अपना बचपन याद करते हैं। वर्तमान में बाल मंदिर का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। बरसात होने पर छत से पानी टपकता है। भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है और कभी भी भरभराकर गिर सकता है जिससे यहां पढऩे वाले बच्चों की जान पर आ सकती है। मगर नगर पालिका के जिम्मेदारों को इससे कोई सरोकार नहीं है। न तो यहां से बाल मंदिर को स्थानांतरित किया जा रहा है और न ही भवन की मरम्मत कराई जा रही है।