केप कैनावेरल। चांद की गुफाएं भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों का ठिकाना बन सकती हैं। विज्ञानियों ने चंद्रमा पर एक गुफा मिलने की पुष्टि की है। यह गुफा चांद पर उस स्थान से ज्यादा दूर नहीं है जहां 55 वर्ष पहले नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्डि्रन ने मून वाक किया था। विज्ञानियों के अनुसार, चांद पर सैकड़ों और गुफाएं हो सकती हैं जिनमें भविष्य में अंतरिक्ष यात्री आश्रय ले सकते हैं। आर्मस्ट्रांग और एल्डि्रन 20 जुलाई 1969 को चंद्रमा पर उतरे थे। इतालवी विज्ञानियों के नेतृत्व में एक टीम ने सोमवार को बताया कि चंद्रमा पर सबसे गहरे ज्ञात गड्ढे से एक बड़ी गुफा तक पहुंचने के साक्ष्य मिले हैं। यह अपोलो 11 के लैंडिंग स्थल से केवल 250 मील (400 किलोमीटर) दूर ‘सी आफ ट्रैंक्विलिटी’ में है। मारे ट्रैंक्विलिटिस गड्ढा, चंद्रमा पर सबसे गहरा ज्ञात गड्ढा है। यह गड्ढा, वहां खोजे गए 200 से अधिक अन्य गड्ढों की तरह, एक लावा ट्यूब के ढहने से बना था।शोधार्थियों ने नासा के लूनर रिकानिसेंस आर्बिटर द्वारा रडार मापों का विश्लेषण किया और पृथ्वी पर लावा ट्यूबों के साथ परिणामों की तुलना की। उनके निष्कर्ष ‘नेचर एस्ट्रोनामी’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। विज्ञानियों के अनुसार, रडार डाटा गुफा के केवल प्रारंभिक भाग को ही दर्शाता है। अनुमान है कि यह गुफा कम से कम 40 मीटर चौड़ी है। निष्कर्षों से पता चलता है कि चंद्रमा पर सैकड़ों गुफाएं हो सकतीं हैं। ऐसी जगहें अंतरिक्ष यात्रियों के लिए प्राकृतिक आश्रय के रूप में काम कर सकती हैं, जो उन्हें ब्रह्मांडीय किरणों और सौर विकिरण के साथ-साथ सूक्ष्म उल्कापिंडों के हमलों से बचाएंगी।