पिटलाइन बनने पर भी प्रस्तावित ट्रेन नहीं चलाई जा रही यहां से
कोरबा। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का कोरबा के प्रति सौतेला व्यवहार कई दशक बाद भी जस की तस बना हुआ है। यात्री परिवहन और कोयला लदान के जरिए कोरबा से रेलवे हर वर्ष 6000 करोड़ का राजस्व अर्जित कर रहा है। क्षेत्र की जनता प्रदूषण झेलने को मजबूर है लेकिन कोरबा के हिस्से की मलाई दूसरे क्षेत्रों को प्राप्त हो रही है। ऐसे में जनता का आक्रोश फिर बढ़ रहा है। उसकी नाराजगी अब निर्वाचित जन प्रतिनिधियों पर भी है, जिन्होंने बीते वर्षों में कोरबा के लिए कुछ नहीं किया।
लगभग एक दशक से भी लंबे समय तक हासिए पर पड़ी करोड़ों की पिटलाइन को पूरा कर लेने का काम तब किया जा सका है जबकि इसके लिए नागरिक संगठनों ने रेलवे पर दबाव बनाया। इसके साथ ही सवाल खड़े किए कि अगर पिटलाइन के निर्माण में तकनीकी खामियां हैं और इससे कोरबा से लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन संभव नहीं है तो ऐसे में दोषी रेल अधिकारियों के खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जाए। पीएमओ से लेकर रेल मंत्रालय तक यह बात पहुंची तो अफसरों के कान खड़े हो गए। संभावित कार्रवाई के डर से पिटलाइन को लेकर गंभीरता दिखाई गई और इस तरफ काम किया गया। यह सबकुछ तो ठीक है लेकिन अभी भी कोरबा में रेल यात्री सुविधा को लेकर पुराना ढर्रा बना हुआ है। नियमित ट्रेनें काफी विलंब से चल रही है जिसके कारण यात्री बेहद परेशान हैं। रेल यात्री संघर्ष समिति की ओर से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की नई जीएम नीता इट्टाताउ के स्तर पर पहल की गई है और कहा गया है कि वे कोरबा के मामले में गंभीरता दिखाएं। मांग की जा रही है कि कोरबा-रीवां, कोरबा-इंदौर और कोरबा-भोपाल ट्रेन का संचालन होना चाहिए, तर्क दिया गया कि काफी समय से ये गाडिय़ां बिलासपुर से चलाई जा रही है, वापसी में 16 घंटे से भी अधिक समय तक ये बिलासपुर में खड़ी रहती हैं। इस स्थिति में मेंटेनेंस के साथ कोरबा से ही संचालित की जा सकती है और इस दिशा में कोई अतिरिक्त टेंशन भी नहीं होगा। समिति ने प्रस्तावित गाड़ी कोरबा-राउरकेला और कोरबा-बीकानेर के संचालन की तरफ भी ध्यानाकर्षण कराया है। इनमें से दोनों गाडिय़ों के लिए संबंधित राज्यों के जनप्रतिनिधियों की ओर से रेल अधिकारियों को प्रस्ताव भेजने की कार्यवाही पिछले वर्ष की गई है और इन ट्रेनों को चलाने से हजारों की संख्या में यात्रियों को फायदा मिलने की बात भी कही गई है। एसईसीआर के नए जीएम से कहा जा रहा है कि वे रेलवे के राजस्व में कोरबा के योगदान को ध्यान में रखते हुए यात्री सुविधाओं में बढ़ोत्तरी करने के बारे में सकारात्मक बनने का प्रयास करेंगे।