
सक्ती। छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में प्रशासनिक लापरवाही और सिस्टम की संवेदनहीनता ने एक बुजुर्ग महिला को इस कदर तोड़ दिया कि उसने अब राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की अनुमति की मांग की है। मामला डभरा तहसील के ग्राम ठनगन का है और मामला पैतृक ज़मीन से जुड़ा है, ग्राम ठनगन स्थित कुल 18 रकबा यानी
लगभग 4.581 हेक्टेयर भूमि जो प्रमेन्द्र कुमार पिता धनचंद, देवश्री पिता धनचंद एवं स्वयं सजीला बाई पत्नी कार्तिकराम के नाम पर बी। एवं ऋऋण पुस्तिका में दर्ज है। जिसका तीन हिस्से में बटवारा करने तहसील कार्यालय डभरा में आवेदन लगाया तब उन्हे पता चलाकि उनके जमीन खसरा नंबर 980/1 में से 0.324 हेक्टेयर जमीन को बिना उनकी जानकारी और सहमति के, फर्जी हस्ताक्षर और कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर बेचा गया। पीडि़ता का आरोप है कि फर्जी फोटो लगाकर और जाली पहचान-पत्रों के आधार परयह खेल खेला गया, और रजिस्ट्री पूरी कर दी गई। जिसके बाद से पीडि़ता पुलिस, तहसील और रजिस्ट्री कार्यालय से अपनी जमीन पाने गुहार लगाई लेकिन उन्हें न तो न्याय मिला और न ही प्रशासन कोई ठोस कार्यवाही की।
प्रशासनिक मशीनरी पर उठे सवाल: क्या फर्जी रजिस्ट्री बिना अधिकारियों की मिलीभगत के संभव थी..? जब महिला के पास खतौनी, नक्शा और साक्ष्य हैं तो कार्रवाई क्यों रुकी है..? तहसील, पुलिस और राजस्व विभाग के अफसर चुप क्यों हैं..? आखिर क्यों एक 70 वर्षीय महिला को इच्छा मृत्यु तक की मांग करनी पड़ी..? आखिर इन सवाले के जवाबदार कौन है।