कोरबा। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन की कोरबा परियोजना के लिए चार दशक पहले जमीन देने वाले चारपारा के 35 परिवार अब अपने आर्थिक और सामाजिक हितों को लेकर ठोकर खाने के साथ भटकने को मजबूर हैं। अधिकार कैसे मिले, इसे लेकर ऐसे लोग अनशन के बाद प्रदर्शन कर रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि 74 दिन बीतने पर भी न तो एनटीपीसी ने सुध ली और न प्रशासन ने। कोरबा के तानसेन चौराहे पर चारपारा के विस्थापितों का परिवार अपने मसले को लेकर प्रदर्शनरत है। 22 अप्रैल से वह यहां पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराए हुए हैं। विस्थापितों को उम्मीद थी कि इन्हीं सब तौर-तरीके को अमल में लेने के साथ प्रबंधन व प्रशासन को घुटने टेकने के लिए मजबूर किया जा सकेगा लेकिन अब तक नतीजे दूर हैं। पहले इन लोगों ने सप्ताह की गिनती की फिर पखवाड़े बीते और अब महीने बीतने पर भी सबकुछ शून्य बना हुआ है। 80 के दशक में चारपारा इलाके में 379 लोगों की जमीन का अधिग्रहण एनटीपीसी के द्वारा किया गया था। खबर के मुताबिक 750 एकड़ से ज्यादा जमीन इन लोगों की गई हुई थी। उस दौर में प्रभावित परिवारों में से अधिकांश को जमीन का मुआवजा, पुनस्र्थापन और रोजगार के लाभ दिए गए। जबकि अलग-अलग कारणों से 35 परिवार अब तक इन सुविधाओं से वंचित हैं। तब से अब तक लगातार इन लोगों के द्वारा अपने मामले का निराकरण करने और प्रावधान के अंतर्गत आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा से जुड़े लाभ लेने के लिए नई दिल्ली, भोपाल और रायपुर के स्तर पर पत्राचार किया जाता रहा। विस्थापित परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों ने बताया कि कुछ पत्रों का ही उन्हें जवाब मिला और हर बार मामले को दिखवाने की बात कही गई। यही रूख प्रशासन का रहा लेकिन आगे ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इस वर्ष भीषण गर्मी से विस्थापितों ने अपने मुद्दों को लेकर तानसेन चौराहे पर प्रदर्शन की शुरुआत की। गर्मी और नौतपा बीतने के साथ अब बारिश में भी ये लोग प्रदर्शन पर डटे हुए हैं। सबसे चौकाने वाली बात ये है कि कई दलों के समर्थन और जिला स्तर पर प्रशासन को जानकारी होने पर भी अधिकारियों ने आंखें मूंदे हुए हैं। एनटीपीसी प्रबंधन का भी यही हाल है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि दोनों स्तर पर कोशिश की जा रही है कि विस्थापितों के धैर्य की परीक्षा ली जाए कि वे और कितने दिन यहां पर ऐसे ही बैठ सकते हैं। आईआर से लेनी होगी जानकारी एनटीपीसी कोरबा परियोजना के जनसंपर्क अधिकारी सुश्री उष्मा घोष से इस मसले पर चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों को हमारा इंडस्ट्रीयल रिलेशन डिपार्टमेंट देखता है और इसके लिए संबंधित अधिकारी से बातचीत कर डिटेल दिए जा सकेंगे।