सुकमा। छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण का मतदान शनिवार को सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड में शांतिपूर्ण तरीके संपन्न हुआ. इस दौरान आजादी के 77 साल बाद ब्लॉक के 5 पंचायतों में पहली बार मतदान हुआ. इस दौरान ग्रामीणों ने भयमुक्त होकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस पंचायत चुनाव में सबसे बेहद खूबसूरत तस्वीर माओवादियों के गढ़ कहे जाने वाले पूवर्ती गांव से आई, जहां ग्रामीणों ने पहली बार नक्सल दहशत को धता बताते हुए लोकतंत्र के महापर्व में न सिर्फ हिस्सा लिया, बल्कि अपने गांव में पानी, सड़क और शिक्षा की मांग भी की. पूवर्ती के आंगनबाड़ी केंद्र में बनाए गए पोलिंग बूथ क्रमांक 13 में सुबह मतदान शुरू होने से पहले ही ग्रामीणों की भीड़ केंद्र में जमा होने लगी. वार्ड क्रमांक 9 से 17 तक के लिए वोट पूवर्ती में डाले गए. पूवर्ती गांव इसलिए भी खास है, क्योंकि यह इलाका नक्सलियों की पीएलजीए का गढ़ था. जहां नक्सली नेता माड़वी हिड़मा की जनताना सरकार चलती थी. बीते 40 सालों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे कोंटा ब्लॉक के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सली फरमान के कारण चुनाव का बहिष्कार किया जाता रहा है. यही कारण है कि ग्रामीण चुनाव से नहीं बल्कि इसकी चर्चा करने से भी कतराते थे. बीते फरवरी के बाद यहां खुले सुरक्षा कैंप ने इलाके की तस्वीर ही बदल कर रख दी है. कुख्यात नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव पूवर्ती में उसके घर के बगल में ही मतदान केंद्र बनाया गया. पहले ऐसा समय था कि ग्रामीण हिड़मा के नाम से खौफ़ में आ जाते थे और वोट डालने के लिए अपने घरों से नहीं निकलते थे.