कोरबा। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग सहित योजना आयोग से संबंधित ग्रामीण योजनाओं को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी सचिवों को दी गई है। इन सबसे अलग कोरबा जिले के सबसे बड़े विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा में सिंदूरगढ़ और नवापारा पंचायत में विकास सहित अन्य योजनाओं के काम इसलिए अटके हैं क्योंकि सचिवों की उपस्थिति मुख्यालय में नहीं हो रही है। इसके पीछे अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं। और तो और ग्रामीण दावा करते हैं कि अपने यहां पदस्थ किये गए सचिवों को अब तक नहीं देखा है।
जिला मुख्यालय कोरबा से लगभग 90 किमी दूर सिंदूरगढ़ पंचायत में प्रशासन के द्वारा परमेश्वर सोनी की पदस्थापना की गई है। सबसे खास बात यह है कि दूसरे विकासखंड की एक पंचायत कोरकोमा का प्रभार भी उसके पास है। ऐसे में वह दूसरी पंचायत के काम को संभालने को लेकर उतना गंभीर नहीं है। सिंदूरगढ़ के लोग बताते हैं कि उन्होंने अब तक उसे यहां पर नहीं देखा है। इसके चलते विकास से जुड़े कार्यों के साथ-साथ हितग्राहीमूलक योजनाओं के मामले में लोग परेशान हो रहे हैं। किसी की पेंशन रूकी है तो किसी के प्रमाण पत्र जारी होने में समस्याएं हैं। इसके अलावा पंचायत स्तर पर दी जाने वाली एनओसी में काम आगे नहीं बढ़ सका है। इस बारे में सचिव सोनी का कहना है कि वह मधुमेह पीडि़त है और लंबी दूरी लगातार तय करना उसके बस से बाहर है इसलिए उसने सिंदूरगढ़ से खुद को हटाने के लिए जिला पंचायत को आवेदन किया है।
यह बात अलग है कि अब तक इस पर विचार नहीं किया गया। पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में एक और पंचायत नवापारा का भी लगभग यही हाल है, जहां की जनता ने अब तक यहां के सचिव रामेश्वर सिंह को नहीं देखा है। काफी समय से उसकी अनुपस्थिति को लेकर चर्चे हैं। लोग इतना जरूर बताते हैं कि तानाखार में उसे अतिरिक्त प्रभार दिया गया है जहां पर वह पहुंचता है लेकिन मूल पदस्थापना वाली पंचायत से उसकी दूरी बनी हुई है। सचिव के उदासीन रवैये के चलते समस्याएं कायम है और विकास के अलावा अन्य संबंधित कामकाज बाधित हो रहे हैं। सिंदूरगढ़ और नवापारा के लोगों की मांग है कि अविलंब इन दोनों सचिवों को यहां से हटाने के साथ किसी फ्रेशर को भेजा जाए ताकि कामकाज आसान हो सके।