जांजगीर। पीडीएस दुकानों में सरकारी चावल की बड़ी तादात में अफरा-तफरी हो रही। अफरा-तफरी करने वालों में कोई और नहीं बल्कि उपभोक्ता व पीडीएस दुकान संचालकों का हाथ है। उपभोक्ता केवल दुकानों में थंब (अंगूठा) लगाने ही आ रहा है। दुकान संचालक 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से सरकारी खाते में राशन वितरण कर देता है और 15 रुपए बढ़ाकर रकम ग्राहक को रकम के हिसाब से रुपए दे देता है।
इसके बाद राशन दुकान का संचालक थोके भाव में राशन को किसी राइस मिलर्स के पास बिक्री कर देता है। यह सिस्टम किसी एक दुकान की नहीं है बल्कि हर दुकानों में यही ढर्रा चल रहा है। एक ओर राशन कार्ड धारक को प्रति किलो 15 रुपए की आमदनी हो रही है तो वहीं राशन दुकान का संचालक भी प्रति किलो चार से पांच रुपए मुनाफा कमा रहा है।
सरकार का चावल वितरण सिस्टम हर वर्ग के लिए मुनाफे का सिस्टम हो चला है। सरकार को चावल वितरण सिस्टम में मुनाफा कम बल्कि नुकसान अधिक उठाना पड़ रहा है। क्योंकि इसकी राइस मिलों में रिसाइक्लिंग हो रही है। जिस सोसायटी में चावल का वितरण हो रहा है वही सोसायटी संचालक इसकी बिक्री थोक में राइस मिलर्स के पास कर रहा है। इसके पीछे प्रत्येक उपभोक्ताओं का हाथ है। क्योंकि उपभोक्ता राशन का उठाव करने के बजाए उसे उसी राशन दुकान संचालकों के पास 10 के बजाए 20 से 25 रुपए में बिक्री कर दे रहा है। ऐसा कारोबार 80 फीसदी राशन कार्ड धारक कर रहा है। वहीं 20 फीसदी गरीब वर्ग के लोग ही सरकारी राशन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
राशन दुकान का संचालक ही खरीद लेता है चावल
राशन दुकानों में दलालों की भी फौज उपस्थित रहता है। जो ग्राहकों को अच्छी रकम का प्रलोभन देकर उसका राशन खरीदता है। क्योंकि राशन दुकान का संचालकों से जब मन मुताबिक रकम नहीं मिलता तो वह दलालों के पास बिक्री कर देता है। रविवार को पत्रिका ने इसकी स्टिंग की। तब इस बात का खुलासा हुआ। दरअसल,जांजगीर के वार्ड नंबर 19 से लेकर 22 से 23 तक आरइएस आफिस के सामने स्थित दुकान से राशन वितरण किया जाता है। जहां दलालों की फौज थी। साथ ही राशन दुकान के संचालकों द्वारा ही थंब लगाते वक्त पूछा जा रहा था कि आप चावल लेंगे या पैसे। तब अधिकतर ग्राहक यही जवाब दे रहे थे कि हम पैसे लेंगे। ग्राहक 10 रुपए के चावल को 20 रुपए से 22 रुपए में दुकानों में ही बिक्री कर दे रहे थे।
राशन दुकानों में दलालों की भी फौज
राशन दुकान के बाहर दलालों की फौज लगी रहती है। जो ग्राहकों को 25 से 26 रुपए में चावल खरीदने का प्रलोभन देकर ग्राहकों का राशन खरीद रहा था। अधिकतर ग्राहक राशन दुकान से चावल उठाता था और उसे दलालों के पास 25 रुपए में बिक्री कर देता था। इतना ही नहीं दलालों के पास बड़ी तादात में प्लास्टिक की बोरी के अलावा बड़ी तादात में रकम थे। वह दिन भर में तकरीबन 10 से 20 क्ंिवटल चावल खरीद चुका था और वह राइस मिलर्स के पास बिक्री कर दिया। राइश मिलर्स इसे फिर से पीडीएस के रूप में सरकार के पास बिक्री कर देता है। इससे उसे मिलिंग चार्ज के अलावा अन्य कई तरह के खर्चे की बचत हो जाती है।
हमें इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि ऐसा हो रहा है तो गलत है। इसकी जांच कराएंगे।