
रायपुर। कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा ने नगरीय निकायों की बैठक में जिले को कैटल फ्री बनाने की दिशा में विशेष कार्ययोजना पर चर्चा की। बैठक में शहर की सडक़ों पर आवारा पशुओं के खतरे को संज्ञान में लाया गया तथा पशुओं के नियंत्रण में आने वाली कठिनाईयों का मूल्यांकन किया गया। साथ ही कलेक्टर ने नगरीय गौठानों में पशु चिकित्सक दल की व्यवस्था संबंधी निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि आवारा पशुओं को नियंत्रित करने निगम द्वारा लगातार गौठानों में शिफ्ट किया जा रहा है। पशु पालकों के बार-बार पशुओं के छोड़े जाने के कारण इस दिशा में शत प्रतिशत निराकरण नहीं हो पा रहा है। उन्होंने इसके निराकरण हेतु व्यापक योजना प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि यह पहल सिफऱ् पशुओं को नियंत्रित करने के बारे में नहीं है, बल्कि नागरिकों के बीच जवाबदेही की भावना को बढ़ावा देने के बारे में है। पहले काउन्सलिंग फिर कार्रवाई- कलेक्टर ने सडक़ों पर पशु छोडऩे पर पशु पालकों को पहले समझाने का सुझाव दिया और उन्हें उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने कहा। अगर कोई नागरिक बार बार यह गलती दोहराता है तो जुर्माने के साथ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। इसके अंतर्गत एएसडीएम अपने न्यायालय में इसकी सुनवाई करेंगे। ताकि उन्हें सीख मिले और समाज में जागरूकता बढ़े। कलेक्टर ने गौठानों में लाए गए पशुओं की पहचान करने के लिए सभी पशुओं की टैगिंग करने कहा। इससे पशुओं की शहर में आवाजाही का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी, साथ ही ऐसे पशुपालकों की पहचान भी की जा सकेगी जो बार बार पशुओं को सडक़ों पर छोड़ देते हैं। कलेक्टर ने गौठानों में पशुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए वहीं पर चिकित्सा उपलब्ध कराने कहा।