मनहरण को टिकट देने से सभी वर्ग के लोगों का मिल सकता है साथ
सीताराम नायक
जांजगीर चांपा। आसन्न विधानसभा चुनाव में सक्ति विधानसभा को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही है वही मनहरण राठौर को कांग्रेस से प्रत्याशी बनाए जाने की मांग उठने लगी है। यह सीट इसलिए खास है क्योंकि इस विधानसभा का नेतृत्व डॉ चरणदास महंत कर रहे हैं परंतु इतने बड़े नेता होने के बाद भी इस विधानसभा से उनका विरोध प्रबल होना समझ से परे है। जहां अनेक दावेदार टिकट मांग रहे हैं वही कई ऐसे दावेदार हैं जो चरणदास महंत की कार्यप्रणाली से खासे नाराज है जिसका चुनावी परिणाम में असर पड़ा पड़ सकता है। वैसे तो इस विधानसभा से 14 लोगों ने अपना आवेदन ब्लॉक अध्यक्षों के माध्यम से दिए हैं जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं प्रदेश महामंत्री मनहरण राठौर का नाम प्रमुख है इसके अलावा राजा सुरेंद्र बहादुर के सुपुत्र धर्मेंद्र सिंह एवं जनपद पंचायत के अध्यक्ष राजेश राठौर ने अपना आवेदन दिया है। वर्तमान में चरणदास महंत का जिस तरीके से विरोध उनके अपने विधानसभा मे टिकट को लेकर हो रहा हैं ऐसा विरोध आज से पहले कभी देखने को नहीं मिला। इसका कारण क्या है यह तो महन्त ही जाने परंतु क्षेत्र की जनता की अपेक्षाओं पर खड़ा नहीं उतारना प्रमुख कारण माना जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि डॉक्टर चरणदास महंत द्वारा लोगों का काम करने के बजाय उन्हें घुमाने के फितरत से भी लोग काफी नाराज हैं।
वर्तमान में डॉ महंत के सबसे करीबी समझे जाने वाले मनहरण राठौर का नाम विरोधी नेता के रूप में प्रमुखता से लिया जा रहा है उनकी धर्म पत्नी श्रीमती सरोज राठौर इसके पूर्व भी विधायक रही हैं वहीं मनहरण राठौर प्रारंभ से ही कांग्रेस पार्टी में एक सक्रीय कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी के रूप में कार्य करते हुए क्षेत्र की विकास को महत्व देते रहे हैं यही कारण है कि मनहरण कांग्रेस पार्टी से उपयुक्त दावेदार माने जा रहे हैं। अगर कांग्रेस पार्टी मनहरण राठौर पर दांव आजमाती है तो निश्चित तौर पर कांग्रेस पार्टी को सफलता मिल सकती है।
यहां यह बताना आवश्यक है कि मनहरण राठौर छात्र जीवन से ही नेतृत्व करते रहे हैं तथा ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, विधानसभा के माध्यम से सतत कार्य कर अपने क्षेत्र को मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित किया है।जबकि उनका क्षेत्र अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में गिना जाता है आज से 10 वर्ष पूर्व मनहरण राठौर की धर्मपत्नी श्रीमती सरोजा राठौर ने कांग्रेस पार्टी से अच्छे मतों से जीत की थी और क्षेत्रीय विकास को गति देते हुए कांग्रेस पार्टी का मान बढ़ाया है। वहीं पिछले 5 वर्षों से देखा जा रहा है जहां खुद डॉ चरणदास महंत के विधायक बनने एवं विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद भी अपेक्षित विकास नही हुआ जिससे क्षेत्र में विरोध के स्वर उठते रहे हैं ऐसी स्थिति में चरणदास के लिए यह क्षेत्र सुरक्षित नहीं लग रहा।
जन चर्चा में यह बात है कि जिस तरीके से सक्ति विधानसभा में डॉ चरणदास महंत का विरोध हो रहा है उसको देखकर वह कटघोरा विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं क्योंकि सक्ति विधानसभा में विरोधियों की संख्या अधिक है। वही अनेक नेतृत्व करता नेता डॉ चरणदास महंत को अब पसंद नहीं कर रहे हैं। जिनके ऊपर विशेष जाति के लोगों को तवज्जो दिए जाने के कारण पिछड़े वर्ग,अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग एवं उनके नेता उनसे खासे नाराज हैं। मनहरण राठौर को 10 वर्ष से पहले भी कांग्रेस पार्टी महत्व देते हुए उनकी धर्मपत्नी को प्रत्याशी घोषित की थी तब उन्होंने कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और आज वह बहुत ही गंभीर नेता समझे जाते हैं जिन्हें अगर कांग्रेस पार्टी टिकट देती है तो निश्चित तौर पर कांग्रेस को निराश नहीं होना पड़ेगा ।

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