बेंगलुरू, 0५ सितम्बर । चंद्रमा पर गए विक्रम ने चंदामामा के आंगन में कामयाबी की छलांग लगाई है। जहां दूसरे देश एक बार भी चांद के दक्षिणी धु्रव पर साफ्ट लैंडिंग नहीं कर सके, अपने लैंडर विक्रम ने 40 सेंटीमीटर उछलकर 30-40 सेंटीमीटर दूर एक बार फिर चांद पर साफ्ट लैंडिंग की है। होप टेस्ट के जरिये भविष्य के मानव मिशन की क्षमता परखी गई।विज्ञानियों को उम्मीद है कि होप टेस्ट में मिली सफलता से भविष्य में चंद्रमा से सैंपल लाने में मदद मिलेगी। चंद्रमा के लिए भविष्य के मानव मिशनों को इस सफलता से पंख लग सकते हैं। उम्मीद से अधिक सफलता हासिल कर चंद्रयान-3 के सभी पेलोड स्लीप मोड में चले गए हैं।विज्ञानियों को उम्मीद है कि चांद पर जब 22 सितंबर को सूर्योदय होगा तो लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान फिर जगेंगे। सभी पेलोड एक और चंद्र दिवस काम करके अधिक से अधिक जानकारियां जुटाएगें और स्वर्णिम भविष्य की पटकथा लिखेंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट किया, विक्रम ने एक बार फिर चांद पर साफ्ट लैंडिंग की। उम्मीदों की छलांग लगाकर विक्रम होप टेस्ट में भी सफल रहा। कमांड मिलने पर विक्रम लैंडर ने इंजनों को फायर किया। अनुमान के मुताबिक विक्रम करीब 40 सेंटीमीटर तक ऊपर उठा और आगे 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर सुरक्षित लैंड किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रक्रिया से भविष्य में चंद्रमा से सैंपल वापस लाने और चंद्रमा पर मानव अभियान को लेकर आशा बढ़ गई हैं।इसरो ने कहा, चंद्रयान-3 मिशन का विक्रम लैंडर भारतीय समयानुसार सोमवार सुबह करीब आठ बजे स्लीप मोड में चला गया। इससे पहले लैंडर के पेलोड चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (चेस्ट), रंभा-एलपी और चंद्र कंपन गतिविधि उपकरण (इल्सा) के डाटा को धरती पर भेज दिया गया।चेस्ट ने पहली बार दक्षिणी ध्रुव पर चंद्र सतह का तापमान और रंभा-एलपी ने चंद्र सतह के प्लाज्मा वातावरण को मापा। चंद्र कंपन गतिविधि उपकरण (इल्सा) ने चंद्रमा पर कंपन को महसूस किया है। अब सभी पेलोड को बंद कर दिया गया है। लैंडर के रिसीवर को चालू रखा गया है। इससे पहले रोवर प्रज्ञान भी लक्ष्य के अनुसार काम पूरा कर शनिवार रात से स्लीप मोड में है। प्रज्ञान ने चांद पर 10 दिन में 100 मीटर से अधिक दूरी तक चहलकदमी की और चंद्रमा के बारे में जानकारियां जुटाईं। रोवर के पेलोडों ने चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर आक्सीजन, एल्यूमीनियम, सल्फर और अन्य तत्वों का पता लगाया। इसके पेलोड अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) और इनड्यूज्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआइबीएस) पेलोड को बंद कर दिया गया।गौरतलब है कि एक चंद्र दिवस 14 दिन का होता है। कुछ दिनों में सूर्यास्त होने वाला है। जिस क्षण सूर्यास्त होगा गहरा अंधेरा छा जाएगा। तापमान शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाएगा। ऐसे में सिस्टम का काम करना असंभव होगा।चंद्रयान-3 के लैंडर माड्यूल (एलएम) ने 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर साफ्ट लैंडिंग की थी। इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला विश्व का पहला राष्ट्र बन गया। अब तक अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं। लेकिन भारत से पहले कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच सका था।