
इंफाल, २७ सितम्बर । मणिपुर में हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं। करीब पांच महीनों से जल रहे राज्य में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। इंफाल घाटी में अज्ञात हमलावरों द्वारा दो छात्रों की हत्या के विरोध में मंगलवार को इंफाल में सैकड़ों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान सुरक्षा बलों के साथ झड़प में लड़कियों सहित कम से कम 34 छात्र घायल हो गए। बिगड़ते हालात को देखते हुए मणिपुर सरकार ने अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाओं पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया। मणिपुर सरकार ने राज्य के अधिकार क्षेत्र में वीपीएन के माध्यम से मोबाइल इंटरनेट डेटा सेवाएं, इंटरनेट/डेटा सेवाओं को तत्काल प्रभाव से एक अक्टूबर, 2023 की शाम 7.45 बजे तक निलंबित करने का निर्णय लिया है। पुलिस ने कहा कि आंदोलनकारी छात्रों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प तब हुई, जब छात्रों को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के बंगले की ओर मार्च करने से रोका गया। सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारी छात्रों को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। घायल छात्रों को इलाज के लिए विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। मणिपुर में जातीय हिंसा चरम पर पहुंचने पर छह जुलाई को 17 वर्षीय छात्रा हिजाम लिनथोइंगंबी और 20 वर्षीय फिजाम हेमजीत का अपहरण किया गया था। उनके परिवारों को संदेह है कि उन्हें सशस्त्र हमलावरों ने मार डाला है। दोनों छात्रों के शवों की तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के बाद विभिन्न स्कूलों के सैकड़ों छात्र सड़कों पर एकत्र हो गए। राज्य सरकार ने लोगों से संयम बरतने और अधिकारियों को पूरे मामले की जांच करने देने की अपील की है। सरकार ने लोगों को आश्वासन दिया कि अपहरण और हत्या में शामिल सभी आरोपितों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की जाएगी। छात्रों की हत्या का मामला सीबीआइ को सौंपा गयामणिपुर सरकार ने छात्रों की हत्या का मामला सीबीआइ को सौंप दिया है। सुरक्षा बलों ने भी अपराधियों को पकडऩे के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री सचिवालय के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से छात्रों के लापता होने की परिस्थितियों का पता लगाने और अपराधियों की पहचान करने के लिए सक्रिय रूप से मामले की जांच कर रही है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि मणिपुर में बच्चे जातीय हिंसा के सबसे कमजोर शिकार हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी रक्षा के लिए हर संभव कोशिश करें। मणिपुर में हो रहे अपराध शब्दों से परे हैं, फिर भी राज्य में अपराधों को बिना किसी रोक टोक के जारी रहने दिया जा रहा है। केंद्र को अपनी निष्क्रियता पर शर्म आनी चाहिए।