
जांजगीर – चांपा । जिले के सबसे बड़े 100 बिस्तर कहे जाने वाले जिला अस्पताल में भी मरीजों को बिस्तर नहीं मिल पा रही है। मरीजों की बढ़ी संख्या को देखते हुए जिला अस्पताल में बेड की संख्या बढ़ाकर 150 कर दिया गया है फिर भी बेड की समस्या खड़ी हो रही है। बिस्तर को लेकर अस्पताल में स्टाफ और स्वजन के बीच आए दिन हो- हंगामे तक की स्थिति बनने लगी है। अस्पताल प्रबंधन केवल गंभीर मरीजों को इलाज के लिए भर्ती कर रहा है। इसे देखते हुए बकायदा ओपीडी, आईपीडी पंजीयन कक्ष और अस्पताल परिसर के अनेक स्थानों में नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है जिसमें लिखा है कि अस्पताल में मरीज भर्तीकेलिए बेड उपलब्ध नहीं है। जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ रही है। प्रतिदिन की ओपीडी 3 सौ से पार जा रही है। आईपीडी भी 150 तक पहुंच जा रही है। जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल होने के कारण जिलेभर के दूरदराज से लेकर आसपास के ग्रामीण लोग भी बेहतर इलाज की आस में जिला अस्पताल तक आने लगे हैं। यही वजह है कि मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिला अस्पताल में सुविधाओं का विस्तार होने से यह क्रम ऐसे ही बढ़ता जाएगा। वैसे तो जिला अस्पताल में 100 बिस्तर की सुविधा है मगर मौसमी बीमारी के कारण इन दिनों मरीजों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे मेंबेड की संख्या बढ़ाकर 150 कर दिया गया है। इसके बाद भी बेड कम पड़ रहे हैं। बिस्तर को लेकर अस्पताल में स्टाफ और स्वजन के बीच आए दिन हो- हंगामे तक की स्थिति बनने लगी है। अस्पताल प्रबंधन केवल गंभीर मरीजों को इलाज के लिए भर्ती कर रहा है। इसे देखते हुए अस्पताल प्रबंधन द्वारा ओपीडी के पंजीयन कक्ष और अस्पताल परिसर के अनेक स्थानों में नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है जिसमें लिखा है कि अस्पताल में मरीज भर्ती के लिए बेड उपलब्ध नहीं है। इसी तरह का नोटिस 29 सितंबर कोभी अस्पताल परिसर मेंचस्पा किया गया है। लेकिन इस तरह नोटिस चस्पा कर देने से इसका हल नहीं निकलेगा। इस स्थिति से निपटने के लिए अस्पताल में बेड के साथ स्टाफ की संख्या बढ़ानी होगी। अस्पताल प्रबंधन के पास जगह की भी कोई कमी नहीं है। पीछे ईटीसीटी की पूरी बिल्डिंग भी है जिसका पूरा उपयोग कर बेड की संख्या बढ़ाई जा सकती है। जिला अस्पताल में दिन के समय इस तरह की समस्या प्राय: कम ही देखने को मिलती है लेकिन रात में इस तरह की परेशानियों से आए दिन मरीज और परिजनों को जूझना पड़ता है। इसे लेकर मरीज के स्वजन का अस्पताल स्टाफ के बीच अक्सर विवाद की स्थित निर्मित हो जाती है। मरीजों की तुलना में डाक्टर और स्टाफ की समस्या जिला अस्पताल में इलाज कराने पहुंच रहे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके चलते सौ बेड भी यहां कम पड़ रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते अस्पताल प्रबंधन के लिए व्यवस्था बनाना टेढ़ी खीर साबित हो जाता है। कई बार ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है कि अतिरिक्त बेड लगाकर मरीजों का इलाज किया जाता है। बीते पांच सालों में मरीजों की तुलना में अधोसंरचना तो बढ़ी है लेकिन डाक्टर और स्टाफ की कमी समस्या बनी हुई है। पुराने भवन के पीछे सौ बेड का और भवन निर्माण कराया गया है। कोरोनाकाल में दो साल तक इस भवन का उपयोग कोविड अस्पताल के लिए किया गया। हालांकि अस्पताल ने सेटअपबढ़ाने शासन से पत्राचार किया है। 28 बर्खास्त स्टाफ नर्स की नहीं हुई बहाली पिछले दिनों स्वास्थ्य कर्मी डाक्टर , स्टाफ नर्स हड़ताल में गए थे। आंदोलन में जिला अस्पताल के डाक्टर और नर्स भी शामिल हुए थे। स्वास्थ्य संचालक द्वारा हड़ताल में शामिल जिला अस्पताल के 28 स्टाफ नर्स को बर्खास्त किया गया है जिनकी बहाली अभी तक नहीं हो सकी है। अस्पताल में स्टाफ नर्स की कमी के कारण काम प्रभावित हो रहा है। डाक्टरों ने निलंबित और बर्खास्त कर्मियों के बहाली की मांग की है। मरीजों की संख्या अधिक होने से कई बार बेड फुल हो जाते हैं लेकिन कुछ मरीज और स्वजन समझाने के बाद भी नहीं मानते। इसको लेकर वाद-विवाद करने लगते हैं। शुक्रवार को ही इस तरह की स्थिति बन गई थी। इस वजह से सूचना चस्पा किया गया है। डा. अनिल जगत, सिविल सर्जन