
रामपुर, 13 अक्टूबर। यूपी के चर्चित कारतूस कांड में कोर्ट ने सीआरपीएफ के दो हवलदारों समेत 24 आरोपियों को दोषी करार दिया। साथ ही, सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। कोर्ट उन्हें आज सजा सुनाएगा। दोषियों में चार नागरिक और 20 पुलिस, पीएसी व सीआरपीएफ के कर्मचारी हैं। मुख्य आरोपी यशोदानंदन की ट्रायल के दौरान ही मौत हो चुकी है। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ कर्मियों पर नक्सलियों के हमले के बाद एसटीएफ को पता चला था कि पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों को दिए जाने वाले कारतूसों को नक्सलियों को बेचा जा रहा है। इस हमले में 9 एमएम की गोली का इस्तेमाल किया गया था। इस इनपुट के आधार पर एसटीएफ ने 29 अप्रैल, 2010 को सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र से प्रयागराज पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन, सीआरपीएफ के दो हवलदार विनोद व विनेश पासवान को गिरफ्तार किया। एसटीएफ ने उनके पास से बड़ी तादाद में कारतूस, इंसास राइफल व नकदी बरामद किया था। सुरक्षाबलों के कारतूस की नक्सलियों को बिक्री के मामले में एसटीएफ के इंस्पेक्टर आमोद कुमार सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। यशोदानंदन की डायरी से अन्य आरोपियों के नाम सामने आए। तब मुरादाबाद पीटीएस में तैनात आर्मरर नाथीराम सैनी समेत बस्ती, बनारस व गोंडा समेत कई जिलों से पुलिस व पीएसी के आर्मरर गिरफ्तार किए गए थे। सपा सरकार ने केस वापस लेने की कवायद शुरू की थी। उसके पत्र पर अभियोजन पक्ष और कोर्ट ने आपत्ति जताई, तो केस वापस नहीं हो सका था।