कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की स्थानीय खदानों से कोयला लेकर यहां के बिजली घरों को जाने वाली मालगाडिय़ां सही तरीके से ऑपरेट नहीं हो पा रही हैं। आधे रास्ते पर ही इनके खड़े हो जाने का सिलसिला बना हुआ है। चढ़ाई वाले रास्ते पर माल गाडिय़ों के पहिए हम जाते हैं और इसी के साथ यहां कोयला चोरों के भाग्य खुल जाते हैं। मालगाडिय़ों के अटकने के पीछे कई प्रकार के तकनीकी और दूसरे कारण महत्वपूर्ण बताया जा रहे हैं लेकिन अब तक इनका समाधान नहीं हो सका है। शुक्रवार को सुबह लगभग डेढ़ घंटे तक डीएसपीएम पावर प्लांट को जा रही मालगाड़ी के अटकने के कारण ट्रांसपोर्ट नगर रेलवे क्रॉसिंग जाम रही। मालगाड़ी का एक सिरा बंद हो चुके टीपी नगर केबिन के आगे क्रॉस हो चुका था जबकि दूसरा सिरा शारदा विहार और ट्रांसपोर्ट नगर क्रॉसिंग के बीच में थमा रहा। मालगाड़ी को खींचने के लिए पहले से ही दो पावर इंजन लगाकर भेजे गए थे इसके बावजूद इस तरह की समस्या पेश आई। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं हुआ। इसलिए हर बार की तरह इस बार भी मालगाड़ी के बीच रास्ते पर ठहर जाने के कारण विभिन्न दिशाओं पर आवाजाही करने वाले लोगों को बेहद परेशान होना पड़ा। अपने गंतव्य को जाने वाले लोगों को इन कर्म से लंबा चक्कर लगाने की मजबूरी भी उठानी पड़ी। इसके ठीक दूसरी और मालगाड़ी के साथ तकनीकी समस्या होने का सबसे ज्यादा लाभ कोयला चोरों को हो रहा है जिन्होंने आज भी अपने-अपने तौर तरीको से काफी मात्रा में कोयला पार करने में सफलता प्राप्त की। समस्या को लेकर रेलवे के एक अधिकारी से बातचीत की गई तो मालूम चला कि सामान्य तौर पर चढ़ाई वाले ट्रैक पर कई बार माल गाडिय़ां इस तरीके से रुक जाती हैं। मुख्य रूप से आवागमन के दौरान अचानक बीच में मवेशियों किसी और अवरोध के आ जाने, इंजिन का क्षमता से कम होना समस्या का कारण बन जाता है। यह बात सही है कि अधिक वैगन वाली मालगाडिय़ों को ट्रांसपोर्टिंग में लगाने के दौरान अनिवार्य रूप से दो-दो पावर इंजन लगाए जा रहे हैं। लेकिन सवाल इस बात का होता है कि एक की क्षमता अधिक है और दूसरे की कम तो फिर परेशानियां सामने आती हैं। ऐसे में लोग यही समझते हैं कि दो-दो इंजन भी मालगाड़ी को नहीं खींच पा रहे हैं पर सच्चाई यह नहीं होती। रेलवे में खास तौर पर लोडिंग का कामकाज 5 गुना तक बढ़ गया है लेकिन इसके अनुपात में मैनपॉवर अपेक्षित नहीं है। विशेष रूप से कोरबा क्षेत्र में कोयला ट्रांसपोर्टिंग करने को लेकर रेलवे पर बहुत ज्यादा दबाव है क्योंकि इसे लेकर रेवेन्यू जेनरेट करने का समीकरण सबसे ज्यादा अहम है। कामकाज के संपादन के लिए पावर इंजन की कमी बहुत बड़े क्षेत्र में एक बड़ा मुद्दा है लेकिन इस पर उतना काम नहीं हो पा रहा है जिसकी जरूरत है। सबसे हैरान करने वाली बात यह भी है कि मैदानी अमले के अनुपात में अधिकारियों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है । दिलचस्प पहलू यह भी है कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत कोरबा में होने वाले कामकाज की बदौलत अधिकारियों को जल्द आगे बढऩे का अवसर मिल रहा है लेकिन समस्याएं आ रही हैं नीचे काम करने वाले कर्मियों और लोगों के हिस्से।