कोरबा। व्यवस्था कहीं या मजबूरी, आम निर्वाचन के लिए लोकसभा और विधानसभा की अनेक सीटों पर आरक्षण पहले से ही जारी है और इसकी सुविधा निश्चित वर्ग को लगातार उपलब्ध हो रही है। शेष बची सीटों को सामान्य घोषित कर दिया गया है लेकिन अनेक मामलों में इसी वर्ग को यहां से नेतृत्व करने का अवसर नहीं मिल पाता। इस बात की कसक समय-समय पर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं में उभरती रही है। नेतृत्व करने की आग अबकी बार कोरबा जिले की सामान्य कटघोरा सीट पर लगी हुई है। इसलिए अब तक यहां से कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित नहीं हो सका। दावा किया जा रहा है कि बहुत ज्यादा तिकडम होने पर ही मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम कवर को यहां से रिपीट किया जा सकता है, अन्यथा कोई और सामान्य प्रत्याशी यहां से भाजपा के सामने ताल ठोकेगा। अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से कटघोरा विधानसभा का गठन किया गया। इसे अनारक्षित श्रेणी में शामिल किया गया। मतलब यह है कि आरक्षित और अन्य कोई भी यहां से मैदान में आ सकता है। कटघोरा विधानसभा में अधिकांश बार कांग्रेस ने बौधराम कंवर को नेतृत्व का मौका दिया। पिछले चुनाव में उनके पुत्र पुरुषोत्तम कर टिकट पाने में सफल रहे और चुनाव जीतने में भी। कांग्रेस सरकार ने उन्हें सरगुजा विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष भी बनाया। एक बार में फिर से इस सीट से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन अबकी बार मामला कुछ उलझता हुआ नजर आ रहा है। जानकार बताते हैं कि कांग्रेस में ही कटघोरा सीट से सामान्य वर्ग को प्रत्याशी बनाए जाने के लिए उच्च स्तर पर लामबंदी तेज हो गई है। कई स्तर पर इस अभियान को सहयोग मिल रहा है और ऊपर तक आवाज मजबूत की जा रही है। कांग्रेस संगठन के द्वारा टिकट के लिए आवेदन देने के लिए पिछले महीना में अभियान शुरू किया गया था जिसमें कटघोरा के लिए सबसे ज्यादा संख्या में आवेदन प्राप्त हुए थे। जानकारों का कहना है कि भाजपा के द्वारा जिला पंचायत सदस्य और पिछड़ा वर्ग से वास्ता रखने वाले प्रेमचंद पटेल को प्रत्याशी बनाया गया है इसलिए कांग्रेस में भी इस सीट पर सामान्य प्रत्याशी देने को लेकर आग लगी हुई है । इसके अंतर्गत जिला पंचायत उपाध्यक्ष रीना जायसवाल अथवा पूर्व सदस्य अजय जायसवाल को प्रत्याशी बनाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। तर्क दिया जा रहा है कि जिले में दो सीट आरक्षित हैं, इसलिए सैद्धांतिक आधार पर से शेष दो सामान्य सीटों पर इसी वर्ग के प्रत्याशी को अवसर क्यों नहीं दिया जाना चाहिए। सवाल उठाया जा रहा है कि क्या विधानसभा क्षेत्र के सामान्य कार्यकर्ता केवल मीटिंग अटेंड करने के साथ-साथ चुनाव प्रचार करने तक ही सीमित रहेंगे। खबर के मुताबिक लगातार अलग-अलग स्तर से यह बात ऊपर पहुंचाई गई है और कई नेताओं का सीधा हस्तक्षेप इस मामले में है इसलिए अब तक कटघोरा से कांग्रेस प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं हो सकी है। कहां तो यह भी जा रहा है कि विशेष परिस्थितियों में ही कांग्रेस इस सीट पर वर्तमान विधायक पुरुषोत्तम कंवर को मौका दे सकती है, अन्यथा उन्हें किनारे करने के साथ दूसरा चेहरा लोगों के सामने होगा।
पिछली बार हुआ था खेल
कटघोरा विधानसभा क्षेत्र मैं पिछले चुनाव के दौरान आए नतीजे को लेकर बार-बार कई प्रकार के सवाल उठ खड़े होते रहे हैं। उसे समय कांग्रेस के निर्वाचित विधायक पुरुषोत्तम कंवर को लगभग 45000 वोट मिले थे। वही भाजपा प्रत्याशी लखन लाल देवांगन 32000 के आसपास वोट प्राप्त करने में सफल रहे। इस चुनाव में जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष रहे गोविंद सिंह राजपूत भी निर्दल प्रत्याशी के रूप में उतर गए थे जिन्होंने 21000 वोट प्राप्त कर पूरा खेल बिगाड़ दिया। निश्चित रूप से इस संघर्ष में सामान्य वोटो का गणित बहुत ज्यादा निर्णायक रहा जिसने भाजपा की जीत पर ब्रेक लगा दिया, और कंवर की किस्मत जाग गई। इलाके में अब इसी प्रकार की चर्चाएं शुरू हो गई है कि अगर सामान्य सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी चयन का फॉर्मूला नहीं बदलता है तो लंबे समय से संघर्ष कर रहे कार्यकर्ताओं को कुछ तो सोचना ही पड़ेगा।