कोरिया। कोरिया व एमसीबी जिले में तीन विधानसभा सीट भरतपुर सोनहत ,मनेन्द्रगढ़ व बैकुंठपुर हैं । जहा दोनों जिले में जिला विभाजन के बाद तीनों विधानसभा का कुछ कुछ क्षेत्र सामिल हैं। जिससे तीनो विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की राह आसान नहीं है।तीनो विधानसभा में गोंडवाना पार्टी ने मैदान पकडक़र भाजपा-कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है, तो वही मनेन्द्रगढ़ व बैकुंठपुर में काग्रेस पार्टी को भीतरघात का डर सता रहा है। जिससे जीत हार में गोंडवाना पार्टी दो प्रमुख पार्टियों में निर्णायक भूमिका में होगी जिस कारण तीनो विधानसभा में कांटे की टक्कर के साथ कहीं जातिगत समीकरण, तो कहीं विरोधियों ने जीत की राह मुश्किल बना रखा है । हाल ही में बैकुंठपुर विधानसभा के पटना में सांसद व विधानसभा अध्यक्ष की सभा में बच्चों की उपस्थिति व कम भीड़ ने कांग्रेस को चिंतित कर दिया कि आखिर नाराजगी क्या है!
जिले की तीनो विधानसभाओं में से एक भी सीट ऐसी नहीं है जिस पर किसी प्रत्याशी के लिए राह आसान हो। कहीं पर गोंडवाना पार्टी , तो कही जातिगत समीकरण प्रत्याशी का माहौल बिगाड़ रहे हैं वही मनेन्द्रगढ़ व बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर काग्रेस अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं का भितरघात प्रत्याशी की नींदे उड़ा रहा है। प्रत्याशियों के राजनीतिक पंडित उन्हें जीत का गणित तो समझा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके यह समीकरण उलझे हुए नजर आ रहे हैं। इस बात का आभास प्रत्याशियों को भी अच्छी तरह से है। विधानसभा वार स्थिति देखें तो भरतपुर सोनहत में वर्ष 2008 में यह सीट अस्तित्व में आया जहा अब तक कोई भी प्रत्याशी दुबारा जीत कर विधायक नही बन सका वही काग्रेस ने वर्तमान विधायक गुलाब कमरों पर ही भरोसा जताया हैं वही भाजपा ने सरगुजा सांसद रेणुका सिंह को प्रत्याशी बनाया है वही गोंडवाना ने श्याम मरकाम को अपना प्रत्याशी बनाया जिसके चलते यहां कांटे की टक्कर है वही त्रिकोणीय मुकाबला है । साथ ही आदिवासी बाहुल्य विधानसभा में राज्य मंत्री के प्रत्याशी होने से जातिगत समीकरण काम नहीं कर रहे।जिससे अब यह सीट हाई प्रोफाइल हो गया हैं । वही काग्रेस जिले की तीनों विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गई है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के गढ़ कोरिया में सेंध लगाते हुए तीन सीट हासिल की थी। इस बार देखना होगा कि पंजे और फूल के बीच किस पार्टी की बढ़त बनती है।
लंबे समय बाद संयुक्त कोरिया में कड़ा मुकाबला
कोरिया व एमसीबी जिले के तीनों सीट में टिकट वितरण के साथ ही प्रदेशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा ने यहां से अपने सरगुजा सांसद को भरतपुर सोनहत में उतारकर चौंकाया था। यह वही सीट है जहा करोड़ो के विकासकार्यो का भूमिपूजन हुआ किन्तु कई कार्य सुरु भी नही हुए जिससे इस सीट पर भी कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गई संसदीय सचिव
बैकुंठपुर विधानसभा में भी मुकाबला स्पष्ट रूप से त्रिकोणीय हो गया है। यहां पर गोंडवाना ने जीत भले ही हासिल न की हो, लेकिन हर चुनाव में निर्णायक भूमिका जरूर निभाती है। यहां पर आदिवासी जन जाति का वोट बैंक बहुत अधिक है और इस बार गोंगपा से धाकड़ प्रत्याशी संजय कमरों लड़ रहे हैं। ऐसे में सीधे तौर पर दस हजार वोटों के जरिए जीत का अनुमान लगाने वाले काग्रेस व भाजपा प्रत्याशी को जातिगत वोट बैंक का नुकसान उठाना पड़ेगा। कई काग्रेस व भाजपा नेता अंदरूनी रूप से अपने प्रत्याशी के जड़ें काटने में जुटे हैं जिससे वे भी वाकिफ हैं। कांग्रेस से यहां अम्बिका सिंहदेव व भाजपा से भईया लाल राजवाड़े प्रत्याशी हैं जो पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे हैं। वे कांग्रेस के वोट बैंक के जरिए हार के अंतर को पाटने के प्रयास में हैं। लगातार दो चुनाव जीत भी चुके हैं। ऐसे में तीनों के बीच कड़ा संघर्ष इस चुनाव में देखने को मिलेगा।
मनेन्द्रगढ़ प्रत्याशियों के पास खुद के मुद्दे नहीं
मनेन्द्रगढ़ विधानसभा में कांग्रेस से रमेश सिंह व भाजपा के श्याम बिहारी जायसवाल के बीच सीधा मुकाबला है। यहां चिरमिरी अस्तित्व बचाओ व चिरमिरी के साथ छलाव का मुद्दा बहुत हावी हैं और चिरमिरी का वोट बैंक हार-जीत तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यह सीट भी सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। राज्य गठन के बाद यहां चिरमिरी व खडग़वां से ही दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशी को ही जीत मिली है।इस बार काग्रेस ने मनेन्द्रगढ़ से प्रत्याशी घोषित किया है ऐसे में मनेन्द्रगढ़ जिला बनाने जैसे समीकरणों के सहारे जीत हासिल करना आसान नहीं होगा। दूसरी ओर यहां दोनों ही प्रत्याशियों के पास स्थानीय मुद्दों का अभाव है।
भाजपा मोदी की केंद्र सरकार और कांग्रेस राज्य सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं साथ ही मुख्यमंत्री के चेहरे के भरोसे हैं । वही मनेन्द्रगढ़ से पूर्व विधायक डॉ विनय जायसवाल को टिकट न मिलना भी चिरमिरी व खडग़वां ब्लाक में कार्यकर्ता में नाराजगी हैं। ऐसे में दोनों के बीच मुकाबला कड़ा हो गया है साथ ही गोंडवाना कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा रहा।