पटना। पटना हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप में उम्रकैद की सजा पाए आरोपित को बरी कर दिया। आरोपित पर अपने मालिक की पत्नी को उसके कमरे में बेहोश करने के बाद कथित तौर पर दुष्कर्म कर महिला से पैसे ऐंठने का आरोप लगाया गया था। सहरसा की निचली अदालत ने उसे 50 हजार रुपये के जुर्माने के साथ 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह एवं न्यायाधीश नवनीत कुमार पांडेय की खंडपीठ ने सुकुमार जाना की आपराधिक अपील याचिका को स्वीकृति देते हुए जनवरी 2021 में ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित निर्णय और सजा के आदेश को रद कर दिया। हाई कोर्ट ने इस मामले में सुकुमार की तत्काल रिहाई का भी निर्देश दिया, जो तीन वर्ष से अधिक समय से जेल में बंद है। खंडपीठ ने अभियोजन पक्ष के मामले में गंभीर खामियां पाईं, जो पूरी तरह से पीडि़त महिला के आरोपों पर आधारित थी।अपराध की घटना की पुष्टि करने वाला कोई चिकित्सकीय साक्ष्य नहीं था और जांच के दौरान पुलिस द्वारा सहरसा से तीन सौ किलोमीटर से अधिक दूर स्थित अपराध स्थल का न तो निरीक्षण किया गया और न ही इसकी पुष्टि की गई।इसके अलावा दुष्कर्म की कथित घटना के लगभग एक महीने बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पीडि़त महिला का मौखिक साक्ष्य विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं पाया गया, जो अपीलकर्ता को दुष्कर्म का दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त हो। न्यायालय ने पीडि़ता के बयान एवं साक्ष्यों में विरोधाभास पाए जाने के बाद याचिकाकर्ता को बरी कर दिया।