नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के कई प्रविधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अधिनियम के प्रविधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले झूठे मुकदमों पर सुनवाई की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि वह केवल उन्हीं लोगों की आतंकवाद रोधी कानून की शक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जो व्यक्तिगत रूप से इससे पीडि़त हैं। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने याचिकाकर्ताओं में एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी से कहा कि केवल व्यक्तिगत रूप से प्रभावित लोग ही कानून की संवैधानिकता को चुनौती दे सकते हैं।
पीठ ने कहा कि वहीं व्यक्ति इस अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती दे सकता है, जो पीडित हो और उसके अधिकारों का उल्लंघन किया गया गया हो। तभी इस विधायी प्रविधान की शक्ति को चुनौती देने का सवाल उठता है। अहमदी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने यूएपीए के प्रविधानों का उल्लंघन किया है। यह कानून आतंकवाद, आतंकवादी गतिविधियों जैसे शब्दों को परिभाषित करता है और किसी इकाई को आतंकवादी संगठन केरूप में नामित करने की केंद्र की शक्ति को परिभाषित करता है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि लोग, लोगों और संगठन बनाने के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कानून की शक्ति को चुनौती देने के लिए जनहित याचिकाएं दायर कर सकते हैं।