कोरबा। गर्मी के मौसम कोरबा समेत छत्तीसगढ़ अनेक इलाकोंं में समस्याएं उतपन्न हो गई है। पानी प्राप्त करने के लिए ग्रामीणों क्षेत्रों रतजगा करना पड़ रहा है। कहीं लाईन में लगने की मजबूरी है तो कही पदयात्रा करने की।
कोरबा जिले के कोलफील्ड और अन्य क्षेत्रों में पानी की समस्या के पीछे जल स्तर का नीचे चले जाना प्रमुख कारण है। वहीं अन्य क्षेत्रों में भी मुश्किले है। केंद्र और राज्य सरकार हर घर में नज जल और जल जीवन मिशन योजना के तहत साफ पानी देने का दावा कर रही है, लेकिन बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर से सटे ग्राम पंचायत पीपरपान की यह तस्वीर सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। विकासखंड के ओरंगा और पीपरपान गांव के बीच में करीब दो किमी जोरीकहुआ नाला बहता है। यह नाला दोनों गांव के लोगों की जीवन रेखा है।पीपरपान के करीब 25 पंडो परिवार के बस्तियों में न हैंडपंप है और न ही प्रशासन ने कुआं खुदवाया है। इस वजह से इन परिवार के सदस्यों को रोजाना दो किमी दूर चिलचिलाती धूम में पैदल चलकर नाले से पानी लाना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि वे दिन में सिर्फ एक बार ही पानी लेने जा पाते हैं। वहीं, ओरंगा के 30 से अधिक परिवार भी इसी नाले पर ही निर्भर है। लोग गांव से जंगल के रास्ते से होकर करीब दो किमी दूर नाले तक पहुंचते हैं, तब जाकर उन्हें पानी मिलता है। कभी-कभी जानवरों के उसी नाले में नहाने के कारण पानी गंदा भी हो जाता है। यह लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। ग्रामीणों के साथ गांव के सरपंच ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ नेता व मंत्रियों से हैंडपंप लगवाने के लिए कई बार गुहार लगाई है। लेकिन अब तक ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन ही मिला है।हैंडपंप खुदवाया, लेकिन मशीन नहीं लगाई पिपरपान गांव के लोग दो किमी दूर नाले से पानी लेने जाते हैं। यहां दो साल पहले सेठवाखाड़ में विधायक मद से हैंडपंप बनाने के लिए खुदाई कराई गई थी, लेकिन आज तक उस हैंडपंप में ऊपर का मशीन अधिकारियों की उदासीनता के कारण नहीं लगाया गया है। इस वजह से लोगों को पानी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सूरजपुर जिले के 12 से अधिक ऐसे गांव है, जहां लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए एक किमी दूर चलना पड़ता है। भैयाथान विकासखंड ग्राम पंचायत गोबिंदगढ़ के बिरसा में 22 पंडो परिवार रहते है। उन्हें पीने के साथ दूसरे कामों के लिए पहाड़ से निकलने वाले पानी पर आश्रित रहना पड़ता है। पहाड़ पर जहां पानी का स्रोत है, वह गांव से एक किमी दूर है। ऐसे में बुजुर्गों और बच्चों को पहाड़ चढक़र पानी लाने में समस्या होती है। करीब सात साल पहले पंडों परिवार की बस्ती में हैंडपंप खुदवाया था, लेकिन उससे पानी नहीं निकला। हैंडपंप आज भी उसी स्थिति में है।बलरामपुर के रामचंद्रपुर ब्लॉक के कुंडपान, बेलकूर्ता, बसेरा, औरंगा, सुंदरपुर, चरगढ़, भीतरचुरा, नीलकंठपुर, बाहरचुरा, अनपारा के साथ अन्य गांव ड्राइजोन में आते हैं। इन गांवों में करीब 600 फीट तक नीचे पानी मिलता है। कई जगहों पर 650 फीट तक का बोर कराने पर भी पानी का स्रोत नहीं है। गर्मी में पारा 40 डिग्री के पार पहुंच चुका है। गांव के जल स्रोत सूख गए हैं। पानी की समस्या से दर्जनों गांव के लोग परेशान हैं। वहीं जल जीवन मिशन के तहत अब तक इन गांवों में दिखावे के लिए सिर्फ टंकी ही बनाया गया है।दोनों गांव में पानी की व्यवस्था कराई जाएगी ट्टआपके माध्यम से पिपरपान और ओरंगा के ग्रामीणों को हो रही समस्या के बारे में पता चला। तत्काल दोनों गांवों में पीने के पानी की व्यवस्था कराई जाएगी।