नई दिल्ली। अमेरिकी शोधकर्ताओं की एक टीम ने सोमवार को कहा कि लगभग 2,500 साल पहले सात या आठ तीव्रता के एक बड़े भूकंप ने गंगा नदी का मार्ग बदल दिया था। इससे बांग्लादेश में घनी आबादी वाला क्षेत्र असुरक्षित बना हुआ है। यहां किसी बड़े भूकंप आने पर झटकों का व्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है। अध्ययन का अनुमान है कि वर्तमान में यहां भूकंप आया तो करीब 14 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। अमेरिका के कोलंबिया क्लाइमेट स्कूल के लामोंट डोहर्टी अर्थ आब्जर्वेटरी के भूविज्ञानी और अध्ययन के सह लेखक माइकल स्टेकलर ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हमने कहीं भी इतना बड़ा भूकंप देखा है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। हिमालय से निकलकर गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में समाप्त होने से पहले ब्रह्मपुत्र और मेघना सहित अन्य प्रमुख नदियों के साथ मिल जाती है।नदियों की धारा परिवर्तन को कहा जाता है। इसमें से कुछ नदियों की घारा भूकंप के कारण बदली हैं। प्रमुख डेल्टाओं से होकर बहने वाली अन्य नदियों की तरह गंगा भी नियमित रूप से अपना मार्ग बदलने के लिए जानी जाती है। स्टेकलर ने कहा कि नदियों को अपना मार्ग बदलने में वर्षों या दशकों का समय लग सकता है, लेकिन भूकंप तुरंत ही भूस्खलन का कारण बन जाता है।नीदरलैंड के वैगनिंगन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और प्रमुख लेखक एलिजाबेथ एल चेम्बरलेन के अनुसार, गंगा जैसी विशाल नदी के लिए यह अध्ययन डेल्टा में भूकंप के कारण भूस्खलन का पहला पुष्ट उदाहरण है। उपग्रह चित्रों का उपयोग करते हुए शोध दल ने देखा कि गंगा नदी की मुख्यधारा बांग्लादेश की राजधानी ढाका से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण में थी। यह लगभग 1.5 किलोमीटर चौड़ा एक निचला क्षेत्र है जो वर्तमान नदी मार्ग के लगभग समानांतर लगभग 100 किलोमीटर तक पाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह कीचड़ से भरा हुआ है, इसमें अक्सर बाढ़ आती है और इसका उपयोग मुख्य रूप से चावल की खेती के लिए किया जाता है। 2018 में इस क्षेत्र की खोज करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि यह भूकंप के कारण बना है। रेत और मिट्टी के रासायनिक विश्लेषण से पता चला कि लगभग 2,500 साल पहले इस क्षेत्र में लगभग 7-8 तीव्रता का भूकंप आया था। स्टेकलर के नेतृत्व में 2016 के एक अध्ययन से पता चला है कि ये क्षेत्र काफी खतरनाक है, यहां भूकंप आने की काफी संभावना है।