प्रतिदिन दिन उतार रहे मौत के घाट
कोरबा। जिले के वन परिक्षेत्र अंतर्गत स्थित ग्राम कनकी में अलग अलग स्थानों से से आए प्रवासी पक्षियों एसीएन बिल स्टार्क के क्षेत्र में मौजूद बिज्जू प्रजाति के वन्य प्राणी दुश्मन बनें हुए है। यह प्राणी प्रतिदिन हमला कर प्रवासी पक्षियों के बच्चों को या तो भक्षण कर जा रहे है। या उन्हें मर कर नीचे गिरा दे रहे है। जिससे वन विभाग की चिंता बढ़ गई है। प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित विभाग के अधिकारी व कर्मचारी प्रवासी पक्षियों के जान की दुश्मन बनें इन बिज्जूयों को पकडृने का प्रयास कर रहे है। लेकिन जब भी रेस्कयू का अभियान चलाया जाता है। वें पेड़ो पर बनें खोह में घूस जा रहे है। फल स्वरूप सफलता नही मिल पा रही है।
ग्राम कनकी में विगत तीन चार दिनों से विदेशी एशियन बिल स्टार्क पक्षी की मौत हो रही है। स्थानीय ग्रामीणों द्वारा इसकी सूचना वन विभाग को दी गई जिस पर विभाग के अधिकारियों ने मौके पर जाकर जांच पड़ताल की तो पता चला कि क्षेत्र में चार बिज्जू प्रजाति के वन्य प्राणी सक्रिय है। जो हमला कर विदेशी पक्षियों के बच्चों को मार दे रहे है। विभाग ने बिज्जू को पकडऩे के लिए योजना बनाते हुए अपने अधिकारियों व कर्मचारियों को यहां भेजा है। जो लगातार बिज्जू को पकडऩे व प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए प्रयास कर रहे है लेकिन इसमें उन्हें कामयाबी नही मिल पा रही है।
जानकारी के अनुसार पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण होने से वन विभाग ने कनकी समेत आसपास को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है। प्रति वर्ष जुलाई से अगस्त माह के बीच अंडे से चूजे निकल आते हैं। अक्टूबर नवंबर तक ये उड़ान भरने योग्य होने पर ये वापस चले जाते हैं। पिछले दो तीन दिनों से पक्षी पेड़ से गिर रहे हैं। उड़ान भरने में असमर्थ पक्षी असुरक्षित है। प्रथम दृष्टया में पक्षियों में बीमारी फैलने की आशंक जतायी जा रही थी। लेकिन जांच पड़ताल में पता चला कि क्षेत्र मेें मौजूद बिज्जू प्रवासी पक्षियों दुश्मन बनें हुए जो लगातार नुकसान पहुंचा रहे है। गांव के अन्य स्थानों में विविध वृक्ष हैं लेकिन अधिकांश पक्षी शिव मंदिर परिसर के पेड़ों में ही अपना घोसला बनाते हैं। धान की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को भी ये नष्ट कर किसानों के लिए सहयोगी होते हैं।
प्रवासी पक्षी एशियन ओपन बिल स्टार्क भारत उपमहाद्वीप के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया के श्रीलंका, म्यामार, मलेशिया, फिलिंपिंस, सिंगापुर से यहां उड़ान भरकर आते हैं। भारत में इसे घोघिंल के नाम से जाना जाता है। कनकी में बड़ी संख्या में पीपल, इमली के पेड़ हैं, जिसमें पक्षियों ने घोसला बनाया है।