चंद्रपुर। चंद्रपुर की बीच बस्ती में गैस का गोदाम बनाया गया है। । इस गोदाम के बगल में जहां अग्रसेन भवन का किचन रसोई घर है। जहां पर शादी प बड़े खुले बडे चुल्हे से हजारो लोगो के लिए खाना बनाया जाता है। वहीं बगल में भारत की सबसे बड़ी बैंक एसबीआई बैंक चंद्रपुर में संचालित हो रही है। इस गैस गोदाम के सामने तहसील संचालित हो रहा है।
इस गैस गोदाम के पीछे में भारत का सबसे बड़ा शिक्षा का केंद्र सरस्वती शिशु मंदिर की दो स्कूलों संचालित हो रही है । मगर इन सबको दरकिनार करते हुए नगर पंचायत चंद्रपुर में 20 वर्षों बाद इस गैस गोदाम को एन ओ सी इस गैस गोदाम कंपनी के लिए करने के जारी कर दिया गया है। जबकि 20 वर्ष पहले यह घना बस्ती था। इशलिये इसको एन ओ सी नहीं दिया गया था।
अभी भी इस गोदाम जो है वह चंद्रपुर के बीचों-बीच घनी वस्ती में है मगर चंद्रपुर में नगर पंचायत बना है यहाँ के लोगो चाहे वह ठेकेदार हो या कोई नेता हो या कोई दलाल हो उनको एक तरीका समझ आ जाता है यदि तुम्हारा काम मुख्य नगर पंचायत अधिकारी चंद्रपुर काम नहीं करता है तो उस सीएमओ को एन केन सस्पेंड करवा दो या ट्रांसफर करवा दो।। फिर किसी को प्रभारी सीएमओ बनाकर चंद्रपुर ले आओ और उसको बंधुआ मजदूर कि तरह जो काम करवाना है करवा लो। चाहे तो चंद्रपुर नगर पंचायत का खजाना को खाली करवा लो उस आदमी के लिए जो उसको प्रभारी सी एम ओ बनाकर चंद्रपुर लाया है। और नगर पंचायत चंद्रपुर में यदि इन सभी कि जानकारी नगर पंचायत के प्रभारी अकॉन्टेड से जानकारी मौखिक या ऋञ्ज से मांगने से भी नहीं दिया जाता है। चाहे तो प्रभारी सीएमओ से एनओसी बनवा लो या नगर पंचायत का खजाना
खाली करवा लो यह चंद्रपुर नगर पंचायत की परंपरा चंद्रपुर नगर पंचायत में चलते आ रही है।। यह गैस गोदाम जो घनी बस्ती के अंदर है। यदि इस पर शासन प्रशासन गंभीर नहीं होता है तो आने वाले दिन में क्या होगा इसकी जिम्मेदारी तो शासन प्रशासन की ही रहेगी क्योंकि उनको बार-बार मीडिया प्रेस वाले बार बार चेताया जा रहा है कि इस घनी बस्ती के अंदर में जो गैस गोदाम बनी हुई है उसको शासन के गाइडलाइन के अनुसार 3 से 5 किलोमीटर की दूरी पर कर दिया जाए। । क्योंकि यह शासन का गाइडलाइन है कि कोई भी गैस गोदाम तीन से पांच
किलोमीटर की दूरी पर बनाया जाता है मगर चंद्रपुर का यह गैस गोदाम एसबीआई बैंक के बगल। अग्रसेन भवन के बगल। तहसील के बगल। और स्कूलों के थोड़ी दूरी पर बनाया गया है। इस पर जब लोग सोचते है और सिर्फ और सिर्फ कुछ घटना घटित होने की आदमी समझ भी लिया तो वह सोच नहीं सकता है कि कितना बड़ा शासन ने यहां पर एन ओ सी देकर भूल की है। इसी प्रकार चंद्रपुर से लगा सपोस गांव जहां पर गैस एजेंसी है वह बस्ती से दूर है डभरा में भी गैस एजेंसी संचालित हो रही है। वे सब शहर से दूर है। शक्ति में गैस एजेंसी संचालित
हो रही है वह भी बस्ती से बाहर है। तो जब सभी गैस एजेंसी शक्ति जिले के कानून को मान रही है तो क्या चंद्रपुर नगर कोई पाकिस्तान में बसा थोड़ी है जो शासन की गाइडलाइन को दरकिनार करता रहेगा। और अधिकारी करवाते रहेंगे।। इस पर जिले के कलेक्टर को गंभीरता से सोचना होगा। क्योकि कलेक्टर को सरकार इशलिये जिले का मुखिया बनाकर भेजती है ताकि पूरे जिले की जनता के वह हितैषी होते हैं इसलिए सरकार भी उनको जिला में लोगों की रक्षा करने के लिए भेजती है ना कि संकट में डालने के लिए।।