वॉशिंगटन, 0४ नवंबर ।
डेमोक्रेट राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर है। ओपिनियन पोल में कहा गया है कि यह ऐतिहासिक करीबी मुकाबला है। इसमें इमिग्रेशन एक प्रमुख मुद्दा है। इसे लेकर दोनों भारतवंशियों को लुभाने में लगे हैं। न्यूयार्क टाइम्स/सिएना कालेज पोल के अनुसार, सात राज्यों में हैरिस और ट्रंप के बीच काफी करीबी मामला है। मंगलवार को राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले मतदान से पहले दोनों दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सिएना कालेज के सर्वे के अनुसार, हैरिस को नेवादा, उत्तरी कैरोलिना और विस्कान्सिन में मामूली बढ़त है, जबकि ट्रंप एरिजोना में आगे हैं। मिशिगन, जार्जिया और पेंसिल्वेनिया में करीबी मुकाबला है। वहीं, डेस मोइनेस रजिस्टर/ मीडियाकाम के सर्वे में हैरिस ने आयोवा में ट्रंप को पीछे छोड़ दिया है। इस बदलाव के लिए महिला मतदाता जिम्मेदार हैं। यहां ट्रंप ने 2016 और 2020 में आसानी से जीत हासिल की थी। आयोवा में ट्रंप के 44 प्रतिशत के मुकाबले हैरिस को 47 प्रतिशत समर्थन मिला है। सितंबर के आयोवा में हुए सर्वे से बदलाव नजर आ रहा है, जिसमें ट्रंप को चार अंकों की बढ़त मिली थीअमेरिका में अर्ली वोटिंग की सुविधा के तहत करोड़ों लोग मतदान कर चुके हैं। न्यूयार्क में शुरुआती वोटिंग में करीब 140,000 वोट पड़े। लोग इसे लेकर बेहद उत्साहित हैं। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के इलेक्शन लैब ट्रैकर के आंकड़ों के अनुसार, 7.6 करोड़ से अधिक अमेरिकी पहले ही मतदान कर चुके हैं। अमेरिका में करीब 18.65 करोड़ मतदाता है। वे मेल-इन मतपत्रों के माध्यम से या व्यक्तिगत मतदान स्थलों पर पहुंचकर अर्ली वोटिंग का लाभ उठा रहे हैं। यह मतदाताओं को खराब मौसम, लंबी कतारें या चुनाव के दिन टाइम मैनेजमेंट से बचाने में सहयोग करता है।यदि सब कुछ सुचारू रूप से चलता रहा और प्रमुख राज्यों में जीत का अंतर काफी बड़ा रहा, तो परिणाम आधी रात को आ जाएंगे। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है, क्योंकि कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच नजदीकी मुकाबला है। लोगों को तब तक नतीजे का पता नहीं चलेगा, जब तक कि कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप ज्यादातर राज्यों, खासकर स्विंग राज्यों में महत्वपूर्ण जीत हासिल नहीं कर लेते।परंपरागत रूप से चुनाव हारने वाला उम्मीदवार परिणाम स्पष्ट होने पर आधिकारिक घोषणा से पहले ही हार मान लेता है। लेकिन ट्रंप ने यह स्वीकार नहीं किया है कि 2020 में राष्ट्रपति जो बाइडन ने उन्हें हराया था। यदि ट्रंप हारते हैं, तो वह जरूर इसे कानूनी चुनौतियों देंगे। हैरिस भी अगर हारती हैं तो काफी नजदीकी मुकाबला होने वाला है। अमेरिका में चुनाव के कई चरण होते हैं। इनमें प्राइमरी, नेशनल कन्वेंशन, आम चुनाव, इलेक्टोरल कालेज आदि शामिल हैं।
पहला चरण डेलीगेट्स चुनने के लिए होता है। यह राजनीतिक पार्टियों से प्राइमरी और काकस के जरिये चुने जाते हैं। नेशनल कन्वेंशन में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से चुने गए उम्मीदवारों के बीच बहस होती है। अगली प्रक्रिया इलेक्टर्स चुनने की होती है। जिस राज्य की जितनी ज्यादा आबादी है, वहां से उतने ज्यादा इलेक्टर्स को आम जनता चुनकर भेजती है। यह राष्ट्रपति चुनाव का सबसे अहम चरण होता है। पूरे देश से 538 इलेक्टर्स चुने जाते हैं। चुनाव जीतने वाली पार्टी को कम से कम 270 इलेक्टर्स की जरूरत होती है। राष्ट्रपति का चुनाव राज्यों में उनकी जनसंख्या के अनुसार वितरित 538 सदस्यों के इलेक्टोरल कालेज द्वारा किया जाता है, न कि लोकप्रिय वोट द्वारा। जिसे भी राज्य में लोकप्रिय वोटों का बहुमत मिलता है उसे उसके सभी इलेक्टोरल वोट मिलते हैं।
इसलिए, एक उम्मीदवार लोकप्रिय वोटों का बहुमत प्राप्त कर सकता है, लेकिन फिर भी हार सकता है यदि वह इलेक्टोरल कालेज में बहुमत में तब्दील नहीं होता है।कमला हैरिस चंदा जुटाने में ट्रंप से काफी आगे हैं। उनके कैंपेन समिति ने जनवरी से 16 अक्टूबर तक 997.2 मिलियन डॉलर जुटाए हैं, जबकि ट्रंप की अभियान समिति केवल 388 मिलियन डॉलर ही जुटा पाई है।