11 तक प्रतीक्षा करेगा संगठन
कोरबा। कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर पूर्व में देव दीपावली के आयोजन को लेकर प्रशासन के साथ नमामि हसदेव संगठन की तनातनी बनी हुई है। कटघोरा सबडिवीजन क्षेत्र के अंतर्गत हसदेव घाट पर होने वाले आयोजन पर बिना किसी कारण के कोरबा प्रशासन ने पेंच फंसा दिया है। इस मामले को लेकर नमामि हसदेव के प्रमुख पदाधिकारी रणधीर पांडे ने अन्न का त्याग किया है। उन्होंने कहा कि 11 नवंबर तक अनुमति की प्रतीक्षा की जाएगी और इसके बाद कार्यक्रम को लेकर विचार होगा लेकिन बाद में अगली लड़ाई भी लड़ी जाएगी।
हसदेव नदी के संरक्षण और अविरल प्रवाह को लेकर नमामि हसदेव संगठन 1 वर्ष से भी अधिक समय से कोशिश कर रहा है। उसने हर अमावस्या और पूर्णिमा को यहां महा आरती की परंपरा शुरू की और महीने में कुछ दिन तय किए हैं जिसके अंतर्गत नदी की साफ सफाई को लेकर श्रमदान भी प्रारंभ किया है। इन प्रयासों को लोगों ने हाथों-हाथ लिया और इस अभियान के साथ जुड़ गए। अपनी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए और निस्वार्थ भाव से आगे बढ़ाने हेतु संगठन चाहता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर यहां भव्य आयोजन हो। रणधीर पांडे ने बताया कि उनके द्वारा एक महीने पहले इस बारे में स्थानीय प्रशासन को पत्र देने के साथ अनुमति की मांग की गई थी। इसे लेकर बिना किसी कारण के बार-बार बैठक की जाती रही और उन्हें अनुमति देने के मामले में आनाकानी की गई। बताया गया कि इस बारे में जानबूझकर देरी की गई और तथ्यों को स्पष्ट नहीं किया गया। जबकि हसदेव की महा आरती का आयोजन स्थल कोरबा अनुविभागी अधिकारी के क्षेत्राधिकार में आता ही नहीं है। यह क्षेत्र कटघोरा सबडिवीजन का हिस्सा है और इसके लिए अनुमति वहां से जारी होना है फिर भी पत्र को ना तो आगे भेजा गया और ना स्थानी य स्तर पर फाइल बंद की गई। बताया गया कि इस बारे में संगठन की ओर से संबंधित अधिकारी को बताया गया है और अपनी मंशा स्पष्ट करने को भी कहा गया है। नमामि हसदेव इस प्रकरण में 11 नवंबर तक अपना कार्यक्रम करने के लिए अनुमति की प्रतीक्षा करेगा और इसके बाद वह अपना निर्णय लेगा। इससे पहले ही रणधीर ने प्रशासन की उदासीनता से नाराज होकर अन्न का त्याग किया है और यह भी कहा की वे यहां पर नहीं रुकने वाले हैं आगे इस मामले में निश्चित रूप से लड़ाई लड़ी जाएगी और अधिकारियों को आईना दिखाने का काम किया जाएगा।
देव दीपावली की समृद्ध परंपरा
बड़े स्तर पर देव दीपावली की समृद्ध परंपरा आदिकाल से बनी हुई है और लगातार इसमें मैं आम आयामों को शामिल किया जा रहा है। नदियों के किनारे इस अवसर पर कार्यक्रम करने के साथ हवन पूजन से लेकर आरती करने का दौर जारी है। औद्योगिक तीर्थ कोरबा जिले में हसदेव नदी का महत्व जीवन दायिनी के रूप में बना हुआ है जो यहां की औद्योगिक और सामान्य आवश्यकता की पूर्ति करते हैं। कई कारण से इस नदी पर संकट का घेरा बना रहा है इसलिए संरक्षण को लेकर जरूरत महसूस की जा रही है। अलग-अलग समय पर कई संगठन इसके किनारे के हिस्से में सफाई को लेकर अपने सरोकारों दिखाते रहे हैं। इन सबसे अलग हटकर नमामि हसदेव संगठन ने नदी की सफाई के काम को नियमित गतिविधि में शामिल किया है।