पूर्वी दिल्ली, १२ नवंबर ।
राष्ट्रीय राजधानी में लोग रिश्तों का खून करने पर उतारू हैं। मधु विहार इलाके में एक बुजुर्ग पिता ने अपने हाथों से बेटे के लिए खाना बनाया, क्योंकि उसकी मां इस दुनिया में नहीं है। उस बेरहम बेटे ने खाने के बदले में अपने पिता को शुक्रिया कहने के बजाय उनके सीने में चाकू घोंप दिया। पिता वेदप्रकाश को लहूलुहान करके बेटा भाग गया।उनका एलबीएस अस्पताल में इलाज चल रहा है।
इस वारदात से पहले शनिवार को दक्षिणी दिल्ली के मोलड़बंद गांव में एक युवक ने कनाड़ा जाने से रोकने पर अपनी मां की चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी। इस तरह की वारदात से समाज पर गहरा असर पड़ रहा है। पुलिस से लेकर घर के सदस्य तक इन वारदात को रोकने में विफल साबित हो रहे हैं। वेदप्रकाश अपने परिवार के साथ वेस्ट विनोद नगर में रहते हैं। उनकी पत्नी की कुछ वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी। परिवार में दो बेटे हैं। उनका छोटा बेटा सचिन नशे का आदी है। बुजुर्ग किराये पर किराना की दुकान चलाते हैं। बुजुर्ग का आरोप है कि रविवार को घर में वह और उनका छोटा बेटा मौजूद थे। उन्होंने रात को बेटे व अपने लिए खाना बनाकर रख दिया। बेटे ने वह खाना खाने से मना कर दिया और अलग से खाना बनाने लगा।इसपर पिता ने उसे डांटते हुए वही खाना खाने के लिए कहा। गुस्से में बेटे ने पहले अपने पिता को अपशब्द कहते हुए कहा कि वह आज हमेशा के लिए उनकी चिकचिक खत्म कर देगा। सब्जी काटने वाला चाकू उठाया और पिता के सीने में घोंप दिया।
घायल बुजुर्ग को उनके पड़ोसियों ने अस्पताल में भर्ती करवाया। पुलिस ने आरोपित युवक को गिरफ्तार कर लिया है।इस मामले में मनोविज्ञानी डॉ. माला वोहरा खन्ना ने कहा कि जो लोग अपने परिवार के सदस्यों को जान ले रहे हैं वह कहीं न कहीं बचपन में किसी ट्रामा से गुजरे होंगे। बड़े होने पर उसके परिणाम सामने आते हैं। घर के बड़े अपने बच्चों पर सख्ती करके सोचते हैं कि वह उन्हें काबू कर लेंगे। सख्ती होनी चाहिए, लेकिन बच्चे को यह नहीं लगे वह सख्ती उसके लिए कैद बन गई है। जो लोग परिवार वालो हत्याएं कर रहे हैं, वह किसी न किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे होंगे। उनके स्वभाव में बदलाव आ रहा होगा, लेकिन लोग उस स्वभाव में आ रहे बदलाव को पहचान नहीं पाते हैं।