नईदिल्ली, १७ नवंबर ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाइजीरिया की राजधानी अबुजा पहुंच गए हैं। यहां उनका स्वागत किया गया। वे 16 से 21 नवंबर तक नाइजीरिया, ब्राजील और गुयाना की तीन देशों की यात्रा पर हैं। अपनी यात्रा के पहले चरण में प्रधानमंत्री नाइजीरिया में हैं। ब्राजील में, प्रधानमंत्री मोदी जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। अपनी यात्रा के तीसरे और अंतिम चरण में प्रधानमंत्री गुयाना की राजकीय यात्रा पर होंगे, 50 वर्षों से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की दक्षिण अमेरिकी देश की यह पहली यात्रा है। आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे संपन्न अफ्रीकी देशों में से एक नाइजीरिया और भारत के मधुर रिश्तों में आने वाले दिनों में गर्माहट और तेज होने के आसार है। खासतौर पर दोनों देशों के बीच आर्थिक व सैन्य सहयोग के नए युग की शुरुआत होने के संकेत है। रविवार को उनकी राष्ट्रपति बोला अहमद तिनुबू के साथ द्विपक्षीय बैठक में आपसी सहयोग को लेकर कई नई घोषणाएं होने की संभावना है। भारत की पूरी कोशिश है कि 17 वर्ष किसी भारतीय प्रधानमंत्री की नाइजीरिया यात्रा का दूरगामी असर हो। पीएम मोदी की इस यात्रा से नाइजीरिया में भारतीय कंपनियों के निवेश के लायक बेहतर माहौल बनाने में मदद मिलेगी। हाल के वर्षों में दर्जनों भारतीय कंपनियों ने नाइजीरिया में निवेश की शुरुआत की है। असलियत में नाइजीरिया उन गिने-चुने अफ्रीकी देशों मे शामिल है, जहां भारतीय कंपनियां सफलतापूर्वक चीनी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। नाइजीरिया, ब्राजील (जी-20 शिखर बैठक के लिए) और गुयाना की यात्रा पर रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने जारी बयान में कहा, नाइजीरिया पश्चिमी अफ्रीका में हमारा एक करीबी साझेदार है। हमारी इस यात्रा से लोकतंत्र व बहुवादी व्यवस्था में साझा भरोसा रखने वाले भारत व नाइजीरिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को प्रगाढ़ करने में मदद मिलेगी। मैं वहां भारतीय समुदाय के लोगों से मिलने को भी उत्सुक हूं। इससे पहले वर्ष 2007 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने नाइजीरिया की यात्रा की थी। शीर्ष स्तर पर यात्रा नहीं होने का असर द्विपक्षीय रणनीतिक रिश्तों पर कितना पड़ा यह तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन इस दौरान चीन ने नाइजीरिया में भारी-भरकम निवेश कर लिया है।
चीन की बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव (बीआरआइ-दूसरे देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर लगाने की योजना) कार्यक्रम के तहत नाइजीरिया में बंदरगाह, रेलवे नेटवर्क, औद्योगिक पार्क और तिपहिया ईवी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाने में चीन ने निवेश किया है। चीनी कंपनियों ने वहां के खनिज क्षेत्र में बड़ा निवेश किया है और आज की तारीख में नाइजीरिया से वह बड़े पैमाने पर बहुमूल्य धातुओं का आयात करता है। कूटनीतिक सूत्र बताते हैं कि पिछले एक दशक में भारतीय कूटनीति ने अफ्रीका में नाइजीरिया समेत अन्य देशों के साथ रिश्तों पर ज्यादा ध्यान दिया है, जिसका असर वहां होने वाले भारतीय निवेश पर भी दिख रहा है। अगर नाइजीरिया की बात करें तो भारतीय कंपनियों आज चीन की कंपनियों के मुकाबले कम नहीं हैं। तकरीबन 200 भारतीय कंपनियां वहां कार्यरत हैं, जिन्होंने कुल 27 अरब डॉलर का निवेश किया है। चीन के मुकाबले भारतीय कंपनियों को आम जनता में ज्यादा इज्जत दी जाती है।

यह भी चौंकाने वाला तथ्य है कि नाइजीरिया में वहां की सरकार के बाद भारतीय कंपनियों ने सबसे ज्यादा रोजगार दिया है।पीएम मोदी जब नाइजीरिया के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए बैठेंगे तो इसमें बहुमूल्य खनिज क्षेत्र में भारतीय निवेश की संभावनाओं पर भी बात होगी। नाइजीरिया में यूरेनियम, थोरियम, नियोबियम, टैंटालम, वैनिडियम, जिरकोनियम जैसे उन खनिजों का बड़ा भंडार है जिसका उपयोग संचार, इलेक्ट्रिक वाहनों व रिनीवेबल सेक्टर में होता है। भारत ने नाइजीरिया को 10 करोड़ डालर का आसान ब्याज दरों पर कर्ज भी मुहैया करा रखा है।