अंधविश्वास में डूबी एक मां ने अपनी बेटी की बलि देकर ममता को कलंकित कर दिया। घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए महिला तंत्र मंत्र के चक्कर में इस कदर उलझ गई कि उसने अपनी डेढ़ साल की बेटी की हत्या कर दी। उसने उसकी छाती चीरकर उसका दिल निकाल लिया, फिर उसे पकाकर खुद खाया. इतना ही नहीं महिला बलि स्थल के पास बिना वस्त्र के नाचती रही.
झारखंड : पलामू जिले से एक हैरान करने वाली और दिल दहला देने वाली खबर पिछले दिनों सामने आई है. यहां एक महिला ने अपनी डेढ़ साल की बेटी को ‘मानवीय बलि’ के रूप में मार डाला, उसके शव के टुकड़े किए और उसका कलेजा तक खा लिया. यह घटना खार गांव के हुसेनाबाद थाना क्षेत्र की है, और इसकी खबर ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है. महिला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, और उसने अपनी जुर्म स्वीकार कर लिया है.
दहल जाएगा दिल
महिला, जिसका नाम गीता देवी है, ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह पहले बाजार गई थी, जहां उसने पूजा के लिए बिछुए, कपड़े और अन्य सामान खरीदे. फिर उसने अपनी बेटी के साथ पास के सिकनी बरभोरा जंगल में जाने का फैसला किया. महिला ने वहां अपनी बेटी को लेकर पूजा की और इसके बाद बिना कपड़ों के नृत्य किया. इसके बाद, उसने धारदार चाकू से अपनी बेटी का गला काट दिया, शव के टुकड़े किए और फिर शव का यकृत खा लिया.
ब्लैक मैजिक और मानव बलि की खौफनाक सच्चाई
पुलिस के अनुसार, गीता देवी ने अपनी इस क्रूर हत्या के पीछे ब्लैक मैजिक और तंत्र-मंत्र को जिम्मेदार ठहराया. उसने बताया कि उसे सपने में यह दिखाया गया था कि यदि वह अपनी बेटी या पति की बलि देगी, तो उसे विशेष तंत्र विद्या प्राप्त होगी. इस विश्वास ने उसे अपनी मासूम बेटी की हत्या करने के लिए उकसाया. महिला ने बेटी का शव जमीन में दफन कर दिया और फिर नग्न अवस्था में घर लौट आई. जब रिश्तेदारों ने उससे बेटी के बारे में पूछा, तो उसने स्वीकार किया कि उसने अपनी बेटी को मार डाला. इस जघन्य अपराध के बाद महिला को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने घटना स्थल पर जाकर बेटी के टुकड़े किए शव को बरामद किया और महिला के खिलाफ सख्त कार्रवाई की. पुलिस ने बताया कि आरोपी महिला ने स्वीकार किया कि वह तंत्र-मंत्र की विद्या सीख रही थी और इसी कारण उसने इतनी भयावह हत्या की.
अंधविश्वास का खतरनाक प्रभाव
यह घटना एक बार फिर से यह साबित करती है कि अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र जैसी प्रथाएं समाज में कितनी खतरनाक हो सकती हैं. यह केवल एक जघन्य अपराध नहीं है, बल्कि समाज में फैले हुए अंधविश्वास और कुरीतियों का नतीजा भी है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए शिक्षा और जागरूकता की जरूरत है ताकि लोग इन खतरनाक विश्वासों से बाहर निकल सकें और समाज में शांति बनी रहे.