भिलाई। बीए पास चरोदा निवासी 73 वर्षीय वी.विश्वनाथन आचारी ने एक ऐसी तौल मशीन बनाई है। जिसमें सौ किलो से लेकर तीन सौ किलो तक तौल आसानी से कहीं भी ले जाकर कर सकेंगे। माप तौल एवं कीमत में हेराफेरी की आशंका भी नहीं रहेगी। 40 साल से माप तौल का निर्माण कर रही मेसर्स साउथर्न वेइंग इंस्ट्रूमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड भिलाई ने एक आधुनिक चलित तौल गाड़ी का निर्माण पहली बार किया गया है।
बैटरी से चलने वाली यह इलेक्ट्रानिक तौल मशीन तीन पहिया व चार पहिया ठेला गाड़ी में बना है। जब भी जहां भी कांटे की जांच के लिए नाप तौल विभाग द्वारा प्रमाणित बांट तौल भी इस गाड़ी में ही उपलब्ध रहेगा। इस एक मशीन को बनाने में एक लाख रुपये खर्च होंगे।
इससे ग्रामीण क्षेत्र के कम पढ़े लिखे युवाओं को रोजगार मिल सकेगा। इसके साथ इस मशीन को किसी बैटरी वाली गाड़ी लगाकर कहीं पर भी ले जाया सकता है। इसके लिए पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत पूरी सहायता भी की जाएगी।
गांव में किसानों द्वारा उपज शासन को बेचने के लिए सोसाइटी में ले जाने के दौरान पहले से उसे तौलकर वजन जान सकेंगे, गांव में इस तरह की चालित इलेक्ट्रानिक मशीन वर्तमान में नहीं है। इस तौल मशीन वाले वाहन को रोड के किनारे एवं खुले बाजार में भी रख सकेंगे।
ऐसे कर सकते हैं ऑपरेट
इस चलित इलेक्ट्रानिक कांटा में तौल सामाग्री को रखने के उपरांत शून्य बटन दबाने से पूरे सामाग्री का वजन शून्य हो जाता है एवं ठेले के प्रत्येक खंड से उपभेक्ताओं द्वारा रखे सामाग्री का प्रति किलो रेट कांटे में डालने से खंड से निकला हुआ सामाग्री का वजन एवं कीमत तौल मशीन के इलेक्ट्रानिक डिस्प्ले में नजर आएगा।
चलित तौल गाड़ी में यह विशेषता
-विभिन्न वजन क्षमता के अनुसार अलग-अलग क्षेत्रों में उपयोग किए जा सकेंगे। गाड़ी होने के कारण एक जगह से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जा सकेंगे। नाप तौल प्रमाणित व नियमानुसार होगी। तौल मशीन भी बैटरी से चलेगा। खास बात यह है कि बैटरी चार्ज करने वाहन पर ही सोलार पैनल भी लगवाया जाने की सुविधा होगी।
इन क्षेत्रों में उपयोगी
स्टील ट्रेडर्स, इंडस्ट्रियल स्टोर्स, पार्सल बुकिंग, डिलीवरी स्टेशन, धान एवं कृषि उपज खरीदी व बिक्री केंद्र में उपयोगी हो सकता है। वहीं सार्वजनिक वजन प्रणाली के तहत गांव में, कृषि फार्म, लकड़ी टाल आदि में भी उपयोगी हो सकता है।