( सीताराम नायक )
जलकुंभी एवं पुराईन पत्ता, चीला से पटा पड़ा है तालाब
जांजगीर चांपा। चांपा शहर का नामी रामबांधा तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है जिसकी सौंदर्यीकरण में करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के बाद भी पानी इतना दूषित हो गया है कि आज मुंह में डालने लायक तक नहीं है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के जनप्रतिनिधि कितने उदासीन है। नगर पालिका परिषद चांपा शहर एक तरह से राजवाड़ा, धार्मिक शहर है जहां की सभ्यता एवं संस्कृति अपने आप में अनोखा है जिसे जानने के बाद हर कोई व्यक्ति अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते है किंतु इस नगर पालिका के महान तालाब रामबांधा की दुर्दशा की ओर किसी जन प्रतिनिधी का ध्यान नहीं जा पा रहा है बल्कि यहां पर की व्याप्त गंदगी के कारण यह तालाब अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए टक टकी निगाह से इन्हें देख रहा है।
कि कहीं कोई श्रवण कुमार बनकर इस तालाब की दुर्दशा को ठीक कर दे ।
ज्ञात होकर इसके पहले नगर पालिका परिषद चांपा द्वारा इस तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए 8 करोड़ रुपए खर्च किया गया है इस राशि के खर्च किए जाने को लेकर नगर पालिका परिषद आए दिन सुर्खियों में रही है जहां लागत के हिसाब से कार्यों का मूल्यांकन लोगों की गले नहीं उतर रही है।
वर्तमान में 101 एकड़ का यह तालाब सिमट कर काफी छोटा हो गया है जो पूराइन पत्ता एवं जलकुंभी, चीला आदि से भरा पड़ा है जहां पानी के अंदर सड़ती पत्तियां लोगों के लिए दूषित वातावरण निर्मित कर रही है। कायदे से इस तालाब का सफाई साल दो सालों में अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए ताकि रामबांधा का पानी लोगों के लिए उपयोगी शाबित होती रहे, किंतु इस तालाब का कई सालों से सफाई नहीं होने के कारण गंदगी से पटने लगी है।
जानकारों को यह कहना है कि इस तालाब का स्वरूप काफी बड़ा था जिसे स्थानीय कुछ लोगों ने आवासीय क्षेत्र रूप से चयन कर बेजाकब्जा करते हुए इसके पार (दीवार) अनेकों घर बना लिए हैं जिसके कारण तालाब का पार नजर नहीं आता। बल्कि अनेक घर इस रामबांधा तालाब के पार पर बन गया है। बहुत से घर ऐसे हैं जो बेजाकब्जा करते हुए शौचालय की नाली को सीधे तौर पर तालाब के अंदर जोड़ दिए हैं गंदगी सीधे तालाब में जा रहा है जिससे तालाब का पानी लगातार खराब होने लगा है,इन्हीं गंदगियों के कारण इसका जल जल्दी दूषित हो जाता है।
इस नगर में धर्मात्मा के रूप में अनेक चेहरे समय-समय पर सामने आते रहते हैं जो भगवान का मंदिर भी बेजा कब्जा करके तालाब पार में बना दिए हैं जबकि असली श्रद्धा अगर होता तो अपनी निजी जमीनों पर बनवाकर जनता को समर्पित करते, परंतु ऐसे लोग पहले मंदिर का निर्माण कर करते हैं और उसके पीछे बेजा कब्जा करते जाते है,नतीजा यह है कि लोगों के लिए आने जाने जमीन नहीं बचता । जिसके कारण रामबांधा तालाब का स्वरूप अच्छा दिखाई नहीं दे रहा है।
इस तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए जिम्मेदारों द्वारा लगभग आठ करोड़ जो रुपए खर्च किया गया है उसके साथ- साथ अगर इस तालाब के चारों तरफ चौपाटी निर्माण कर दिए होते तो इसमें और भव्यता आ जाती। परंतु बेजा कब्जा धारियों के कारण इस महत्वपूर्ण योजना को अमल में नहीं लाया जा सका।
जिला प्रशासन को चाहिए कि इस तालाब के पार में जो लोग बेजा कब्जा कर घर बना लिए हैं उन्हें तत्काल बेदखल करें ताकि तालाब के अस्तित्व के साथ-साथ शहर में सुंदरता लाई जा सके ।
बाहरहाल लोगों के घरों से आई गंदगी एवं शहर के गंदी नालियों का घुसता प्रदूषित पानी से इसका पानी प्रदूषित हो रहा है। इसके अलावा इस तालाब में पुराइन पत्ता, चीला एवं जलकुंभी आदि से आती सडऩ की बदबू आने लगी है जिसका सफाया किया जाना आवश्यक है, नहीं तो इस प्रदूषित वातावरण बीमारी का कारण भी बन सकता है जिस ओर जिला प्रशासन को एवं नगर पालिका परिषद को ध्यान देने की जरूरत है।