
पटना, 2७ नवंबर ।
विधान परिषद की पहली पाली में राजद के कुमार नागेंद्र ने बीपीएल परिवारों को स्मार्ट मीटर से मुक्त रखने और प्रतिमाह 200 यूनिट बिजली नि:शुल्क देने से संबंधित प्रश्न किया था। उनका तर्क था कि उपयुक्त वोल्टेज नहीं होने पर स्मार्ट मीटर की रीडिंग सही नहीं होती। इसका उन्होंने तकनीकी आधार बताया। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने ऐसे किसी भी विज्ञान को मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि स्मार्ट मीटर बिजली के उपयोग के आधार पर चलता है। सरकार महंगी दर से बिजली खरीदकर सस्ती दर से उपभोक्ताओं को दे रही। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की स्थिति से समझा जा सकता है कि नि:शुल्क बिजली देने का खामियाजा क्या होता है। 52 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। शिकायत बड़ी होनी चाहिए, जो कि नहीं है। हाल-फिलहाल केंद्रीय ऊर्जा मंत्री द्वारा आयोजित सेमिनार में पूरे देश में स्मार्ट मीटर लगाए जाने पर सहमति बनी है। इस व्यवस्था से अवगत होने के लिए छह-सात राज्यों का प्रतिनिधिमंडल भी बिहार का भ्रमण कर चुका है। बीपीएल परिवारों को पहले से ही 50 यूनिट तक बिजली नि: शुल्क दी जा रही।
राज्य में बीपीएल श्रेणी के कुल लगभग 59 लाख उपभोक्ता हैं। उनमें से 10 लाख उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर है। उन्हें सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए निर्धारित टैरिफ (बिजली दर) में से अधिकांश हिस्से (73.4 प्रतिशत) पर अनुदान दिया जा रहा है। यह दर 1.97 प्रति यूनिट है।