नईदिल्ली, 0६ दिसम्बर।
भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक खींचतान जारी है। जस्टिन ट्रूडो सरकार के शासन में दोनों देशों के संबंध खराब हुए हैं। एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 39 प्रतिशत कनाडाई मानते हैं कि जब तक ट्रूडो प्रधानमंत्री हैं, तब तक संबंधों में सुधार नहीं होगा, जबकि 34 प्रतिशत लोगों का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में भी यही मानना था। एंगस रीड इंस्टीट्यूट (एआरआइ) और एशिया पैसिफिक फाउंडेशन आफ कनाडा द्वारा किए गए सर्वेक्षण में इस बात पर आम सहमति नहीं बन पाई कि भारत-कनाडा संबंधों में आयी गिरावट के लिए कौन जिम्मेदार है। हालांकि, ज्यादातर लोगों ने इसका दोष कनाडा सरकार पर मढ़ा है। सर्वेक्षण के अनुसार, 39 प्रतिशत कनाडाई मानते हैं कि कनाडा अपने संबंधों को ठीक नहीं कर पा रहा है, जबकि 32 प्रतिशत लोगों का विपरीत दृष्टिकोण था तथा 29 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे निश्चित नहीं हैं।
गौरतलब है कि कनाडा में 2025 में संसदीय चुनाव होने जा रहे हैं और विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के चुनाव जीतने की प्रबल संभावना है। अगर कंजर्वेटिव जीतते हैं, तो पियरे पोलीवरे कनाडा के प्रधानमंत्री होंगे, जिससे द्विपक्षीय संबंधों को फिर से बेहतर बनाने का मौका मिलेगा। भारत और कनाडा के बीच के रिश्ते अपने सबसे निचले स्तर पर हैं। दोनों देशों के बीच रिश्तों में कड़वाहट उस समय शुरू हुई जब कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में भारत के संलिप्तता की बात कही थी। इसके बाद भारत सरकार पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाते हुए 14 अक्तूबर को पीएम ट्रूडो ने कनाडा में 5 भारतीय राजनयिकों सहित उच्चायुक्त संजय वर्मा को निष्काषित कर दिया।