जांजगीर-चांपा। जिले के आरटीओ दफ्तर में एक ओर जहां ट्रायल की सुविधा नहीं है, तो वहीं दूसरी ओर जिले में संचालित मोटर ड्राइविंग स्कूल भी परिवहन विभाग के निर्धारित मापदंडों के अनुरूप नहीं है। दरअसल जिला परिवहन अधिकारी ने जिले के चांपा व जांजगीर में संचालित ड्राइविंग स्कूलों का निरीक्षण किया तो वहां इतनी खामियां मिली कि एक संस्थान की मान्यता रद्द करने तक बात पहुंच रही है तो दूसरे को सख्त हिदायत दी गई है।गुरूवार 5 दिसंबर को कलेक्टर आकाश छिकारा के निर्देशन में जिला परिवहन अधिकारी गौरव साहू एवं टीम के द्वारा जिले में संचालित ड्रायविंग स्कूल विक्की ड्रायविंग स्कूल, चांपा प्रोपाईटर – विकास तिवारी पता 18 मेन रोड चांपा एवं शेख ड्रायविंग स्कूल, प्रोपाईटर मुजीब रहमान शेख पता तुलसी भवन के पास वार्ड नं. 8 लिंक रोड जांजगीर का औचक निरीक्षण किया गया। जिला परिवहन अधिकारी ने बताया कि निरीक्षण के दौरान विक्की ड्रायविंग स्कूल, चांपा के निरीक्षण में पाया गया कि उक्त ड्रायविंग स्कूल में केन्द्रीय मोटरयान नियम 1989 में विहित प्रावधानों के अनुरुप कक्षा, फर्नीचर, यातायात संकेत, तकनीकी शिक्षा के उपकरण, नियमों की पुस्तक, कर्मचारी, दोहरे नियंत्रण प्रणाली की वाहन, पार्किंग एवं रेम्प की सुविधा नही पाई गयी। संचालक द्वारा रजिस्टर संधारण करना नहीं पाया गया। साथ ही मोटर ड्रायविग़ स्कूल स्थापित करने के लिए संचालक द्वारा अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) प्रस्तुत नहीं किया गया। तथा प्रशिक्षणार्थीयों का अभ्यावेशन दर्शित करने वाला वर्षवार रजिस्टर प्रस्तुत नहीं किया गया। इसी प्रकार शेख ड्रायविंग स्कूल, प्रोपाईटर मुजीब रहमान शेख पता तुलसी भवन के पास वार्ड नं. 8 लिंक रोड जांजगीर के निरीक्षण में पाया गया कि ड्रायविंग स्कूल में केन्द्रीय मोटरयान नियम 1989 में विहित प्रावधानों के अनुरुप प्रशिक्षणार्थीयों का अभ्यावेशन दर्शित करने वाला वर्षवार रजिस्टर प्रस्तुत नही किया गया। जिला परिवहन अधिकारी द्वारा दीनों द्वायविंग स्कूल संचालकों को मौखिक समझाईस के साथ कार्यालयीन पत्र द्वारा स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने हेतु नोटिस जारी किया गया।
उल्लेखनीय है कि जिले के परिवहन कार्यालय में वाहन चालकों के लायसेंस जारी करने के पूर्व ट्रायल लेने की भी कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में ड्राइविंग स्कूल से जारी किए गए प्रमाण पत्र के आधार पर हैवी लायसेंस बनाया जाता है, तो दूसरी ओर दोपहिया वाहन एवं चारपहिया वाहन चालकों का लायसेंस बिना ट्रायल लिए मौखिक पूछताछ के आधार पर अथवा एजेंटों के भरोसे बनाने का काम होता है। इस तरह की स्थिति में कहा नहीं जा सकता कि लायसेंस प्राप्त चालक वाहन चलाने में कुशल है या नहीं। बहरहाल जिले में जिस तरह से सडक़ दुर्घटनाएं हो रही है उसके मद्देनजर लायसेंस जारी करने की व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे है।वाहन तो दूर दोपहिया वाहन चालकों का भी ट्रायल लेने की भी जगह यहां नहीं है।
दफ्तर के पीछे भी झांक ले साहब!
जिले में बढ़ती सडक़ दुर्घटना और हो रही मौतों पर रोक लगाने को लेकर जिले के मुखिया कलेक्टर और एसपी के साथ परिवहन विभाग का अमला ब्लैक स्पॉट को चित्ल्हांकित करके सडक़ मालों को बंद करा रहा है। शराबी वाहन चालकों को पकडऩे यातायात पुलिस किय ऐना लाइजर लेकर जांच कर रही है। इसके पहले यदि अपनी दफ्तर के पीछे संचालित आरटीओ दफ्तर का निरीक्षण कया जाए तो वहां हावी दलालराज और बिना ट्रायल के नौसीखियों को लायसेंस थमाने के खेल पर शायद विराम लग जाए। उम्मीद है कि आधी दुर्घटनाएं इससे भी रूक जाएंगी।