चरचा/कालरी। स्थानीय प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था सरस्वती शिशु मंदिर, चरचा में 28 लाख रुपये की हेराफेरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह वित्तीय घोटाला स्कूल के कंप्यूटर ऑपरेटर अभिजीत प्रधान द्वारा किया गया। इस हेरा फेरी की शिकायत वर्तमान विद्यालय प्रबंधन के कोषाध्यक्ष श्री राम सागर के द्वारा चर्चा थाने में की गई है शिकायत में 28 लाख 8490 रुपए की भारी भरकम राशि की हेरा फेरी का उल्लेख है सूत्रों के अनुसार कंप्यूटर ऑपरेटर ने तत्कालीन विद्यालय प्रबंधन को विश्वास में लेकर वर्ष 2019 से 2023 के बीच हेरा फेरी की घटना को अंजाम दिया कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा डबल रसीद बुक का उपयोग कर और वित्तीय रिकॉर्ड छुपाकर गबन किया।
सूत्रों के अनुसार सरस्वती शिशु मंदिर का कंप्यूटर ऑपरेटर अभिजीत प्रधान को तत्कालीन विद्यालय प्रबंधन का पूरी तरह आशीर्वाद प्राप्त था उसे मनमाने तरीके से एक तरफा वित्तीय प्रभार दिया गया था ,फीस लेना ,जमा करना ,हर प्रकार का लेनदेन करना कंप्यूटर ऑपरेटर के जिम्मे में थे लापरवाही कहिए आलम था कि अभिजीत प्रधान के कार्य को देखने के लिए किसी को भी आदेशित नहीं किया गया था वहीं विद्यालय के प्राचार्य को किसी प्रकार की भी दखलंदाजी की अनुमति नहीं दी गई तत्कालीन प्रबंधन द्वारा लिखित में यह भी आदेश जारी किया गया था कि विद्यालय के प्राचार्य के द्वारा वित्तीय लेनदेन में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा इस तरह विद्यालय के प्राचार्य की शक्तियों को पूरी तरह खत्म कर दिया गया था ,आरोपी कंप्यूटर ऑपरेटर दो तरह की रसीद बुक का उपयोग करता था बच्चों के अभिभावकों के द्वारा दी जाने वाली राशि को मूल रसीद बुक में कम दर्ज करता था वही अभिभावक को दी जाने वाली नकली रसीद बुक में उसके द्वारा दी गई पूरी राशि का उल्लेख होता था जिसकी वजह से अभिभावक यह समझते थे कि उनके द्वारा दी गई राशि विद्यालय के खाते में जमा हो गई है जबकि अधिकांश राशि कंप्यूटर ऑपरेटर अपनी जेब में रख लेता था।
सूत्रों के अनुसार, लगभग 1 वर्ष पूर्व अभिजीत प्रधान ने तत्कालीन विद्यालय प्रबंधन के सामने ?6 लाख की हेराफेरी की बात स्वीकार की थी, जिसमें से ?3,52,000 उसने विद्यालय में जमा भी कर दिए ,अतिरिक्त शेष राशि के लिए दो ब्लैंक चेक दिए थे , जो बाउंस हो गए। सवाल यह उठता है कि जब कुल हेराफेरी 28 लाख रुपये की बताई जा रही है, तो केवल ?6 लाख की वसूली का क्या अर्थ है? 5 वर्ष की लंबी अवधि तक कंप्यूटर ऑपरेटर को मनमानी करने की छूट किसके द्वारा दी गई थी, प्रतिवर्ष वित्तीय लेनदेन की जांच क्यों नहीं की जाती थी,इस स्थिति से तत्कालीन विद्यालय प्रबंधन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। जानकारी होने के बावजूद तत्कालीन विद्यालय प्रबंधन ने मामले की वैधानिक एवं विस्तृत जांच क्यों नहीं कराई या फिर प्रबंधन ने जानबूझकर मामले को दबाने की कोशिश की?
विद्यालय की पुरानी प्रबंधन समिति के हटने के बाद नई प्रबंधन समिति ने मामले की गंभीरता को देखते हुए वर्तमान विद्यालय प्रबंधन के कोषाध्यक्ष द्वारा चर्चा थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है, और पुलिस विवेचना जारी है। विद्यालय प्रबंधन की लापरवाही और अनियमितताओं ने पूरे क्षेत्र में शिक्षा संस्थानों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चर्चा थाने में शिकायत दर्ज कर जांच की जा रही है, जल्द ही पूरा खुलासा किया जाएगा।
प्रमोद पांडे,थाना प्रभारी पुलिस थाना चर्चा