नई दिल्ली: सीबीआई की एक विशेष अदालत ने सोमवार को झारखंड में बृंदा, सिसई और मेराल कोयला ब्लॉकों के आवंटन से संबंधित कोयला घोटाला मामले में अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनोज कुमार जायसवाल और इसके पूर्व निदेशक रमेश कुमार जायसवाल को दोषी ठहराया।
एजेंसी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि 2016 में दर्ज मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने अपनी वित्तीय स्थिति, अपने प्रस्तावित संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण और अन्य संबंधित दावों को गलत तरीके से पेश करके कोयला ब्लॉक हासिल किए।
सीबीआई ने कहा कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय की सिफारिश हासिल करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था।
विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने नागपुर स्थित अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (एआईपीएल), इसके प्रबंध निदेशक मनोज कुमार जायसवाल और पूर्व निदेशक रमेश कुमार जायसवाल को धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और जाली दस्तावेजों को असली के रूप में इस्तेमाल करने का दोषी ठहराया। उनकी सजा बाद में सुनाई जाएगी।
चार साल तक चली जांच से पता चला कि कोयला ब्लॉक हासिल करने के लिए झारखंड के हजारीबाग में निजी भूमि की खरीद, प्रस्तावित अंतिम उपयोग संयंत्र के लिए मशीनरी की खरीद और बैंकों के साथ वित्तीय गठजोड़ से संबंधित जाली दस्तावेजों की फोटोकॉपी प्रस्तुत की गई थी।
सीबीआई प्रवक्ता ने कहा, “इन जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय की सिफारिश हासिल करने के लिए किया गया था। इस सिफारिश के आधार पर कोयला मंत्रालय ने 25 जून 2005 को अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (अब अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) को बृंदा, सिसई और मेराल कोयला ब्लॉक आवंटित किए। इस प्रकार कंपनी ने कोयला मंत्रालय/सरकारी खजाने को चूना लगाया।” न्यायाधीश ने कहा कि जब मंत्रालय को जाली पत्र और दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे, तब मनोज कुमार जायसवाल कंपनी के मामलों को नियंत्रित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, “उन्होंने ही (रमेश कुमार जायसवाल के माध्यम से) इस्पात मंत्रालय को जाली दस्तावेज प्रस्तुत करवाए।”
न्यायाधीश ने कहा, “इन पत्रों में गलत जानकारी के कारण इस्पात मंत्रालय ने मेसर्स एआईपीएल के पक्ष में सिफारिश की। इस्पात मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर स्क्रीनिंग कमेटी को भी गलत तथ्यों को सच मानने के लिए प्रेरित किया गया और कंपनी के पक्ष में कोयला ब्लॉकों के आवंटन की सिफारिश की गई।”
यह सीपीएसई सीबीआई द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग जांच के केंद्र में है सीबीआई ने 29 अक्टूबर 2020 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 38 गवाहों से पूछताछ की और 74 दस्तावेज पेश किए।
जांच एजेंसी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एस. चीमा और अधिवक्ता संजय कुमार और तरन्नुम चीमा ने किया। सीबीआई ने 6 जनवरी, 2016 को मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मेसर्स एआईपीएल ने लोक सेवकों के साथ साजिश करके, अपनी वित्तीय स्थिति, अपने प्रस्तावित अंतिम उपयोग संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण और अन्य संबंधित दावों को गलत तरीके से प्रस्तुत करके धोखाधड़ी और बेईमानी से उपरोक्त कोयला ब्लॉक हासिल किया।