अकलतरा। धान खरीदी में इन दिनों तेजी आ गई है। आलम यह है कि केन्द्रों में धान का अंबार लगने लगा है। ऐसे समय में गुरूवार 12 दिसंबर से राईस मिलर्स अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले जाएंगे। राईस मिलरों की हड़ताल से धान का उठाव नहीं हो पाएगा। जिससे धान खरीदी की व्यवस्था चरमराएगी।
जिले में 129 धान खरीदी केन्द्रों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर 14 नवंबर से धान खरीदी की जा रही है। शुरूआती दौर में आवक काफी कम थी। नवंबर माह तक करीब डेढ़ लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई थी। दिसंबर माह में धान की आवक काफी बढ़ी है। पिछले सप्ताह भर से केन्द्रों में किसानों की भीड़ लग रही है। जिले में 8 लाख क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है। क़ई केन्द्रों में बफर लिमिट भी पार हो गई है। इधर धान का उठाव अब तक शुरू नहीं हो सका है। राईस मिलर्स के माध्यम से धान का उठाव किया जाना है। इसके लिए राईस मिलर्स के पंजीयन का काम भी चल रहा था। इसी बीच बुधवार 11 दिसंबर को राईस मिलर्स एसोसिएशन ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश भर में गुरूवार 12 दिसंबर से हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है।
राईस मिलर्स के हड़ताल पर जाने से उपार्जन केन्द्रों से धान का उठाव नहीं हो पाएगा। ऐसे में अगर राईस मिलर्स की हड़ताल लंबी चलती है तो समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी। हड़ताल को लेकर राईस मिलर्स का कहना है कि बुधवार 11 दसंबर को छत्तीसगढ़ शासन की हुई कैबिनेट में वर्ष 2022-23 के भुगतान पर सहमति नहीं बनी। साथ ही एसएलसी से परिवहन व्यय भी फाइनल नहीं हो पाया। सरकार के कैबिनेट के निर्णय के बाद अब पुन: प्रदेश एसोसिएशन अपने मिलर्स के साथ कस्टम मिलिंग कार्य करने के निर्णय पर पुनर्विचार करेगा। मिलर्स को मिल संबंधी खचर्चों के लिए भुगतान करने की और अपना काम
करने पैसों की जरूरतें थी । इसके लिए पिछले दिनों पूरे प्रदेश के मिलरों ने अपनी कुछ मांगों के पूरा होने तक कस्टम मिलिंग कार्य से दूरी बना ली थी। सरकार ने मिलर्स से चर्चा कर बड़ा आश्वासन दिया लेकिन अब पूरे प्रदेश के मिलर्स सरकार के वर्तमान निर्णय के खिलाफ हैं कि मिलर्स का वर्ष 2022-23 के बजाय वर्ष 2023-24 का भुगतान किया जाए। मिलरों की मांग है कि पहले पुराने वर्षों का भुगतान मिलना चाहिए। अपनी मांगों को लेकर राईस मिलर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री, सहकारिता मंत्री, राज्यपाल एवं केन्द्रीय खाद्य मंत्री से सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की मांग की है।