0 विद्युत विभाग और अधिकारियों के प्रति बढ़ती नाराजगी
कोरबा। शनिवार को जिला न्यायालय परिसर में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। यहां विभिन्न विभागों के स्टाल लगाए गए और आपसी सुलहनामा से प्रकरणों का निराकरण के लिए लोगों को नोटिस देकर बुलाया गया था। इसमें सबसे अधिक भीड़ छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण विभाग के स्टॉल में देखने को मिली। यहां पहुंचे विद्युत विभाग की समस्या से ग्रस्त लोगों ने बिजली विभाग के अधिकारियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बताया कि घरों में बिजली मीटर की रीडिंग करने रीडर नहीं आते, उसके बाद कई महीने का मनमाना बिल पकड़ा देते हैं, जिसको भुगतान करने में उपभोक्ता सक्षम नहीं रहता। बकाया बिल राशि पर ब्याज बढ़ता जाता है और उपभोक्ता खासकर मध्यम और निम्न वर्ग का उपभोक्ता बकाया बिल के बोझ तले इतना दबता चला जाता है कि फिर जल्दी उबर नहीं पता। बिल सेटलमेंट के नाम पर ठगी और आर्थिक शोषण का शिकार भी होता आया है। इन समस्याओं का निराकरण करने की बजाय कनेक्शन विच्छेद पर जोर देकर कनेक्शन काट दिया जाता है और इनके रवैये से त्रस्त व्यक्ति कनेक्शन जोड़कर काम चलाता है तो अपराधी बन जाता है,राहत के बदले सीधे नोटिस दिया जाता है। सरकार को बकाया बिलों के मामलों में राहत देने के साथ अधिकारियों पर भी जिम्मेदारी तय करने की आवश्यकता है जिनके कारण ऐसे विवादास्पद हालात निर्मित होते हैं। आज लोक अदालत के स्टॉल में भी विद्युत अधिकारियों के द्वारा समस्या का निदान नहीं किया गया। नोटिस प्राप्त लोगों को समाधान के नाम पर एक दिन पहले विद्युत दफ्तर आकर साहब से मिलने को बोला गया और लोक अदालत में समाधान नहीं के पर सम्बन्धित लोगों को फिर से विद्युत विभाग के ऑफिस में बुलाया जा रहा है, जिससे इन लोगों में विद्युत अधिकारियों के रवैये से आक्रोश देखा जा रहा है। यहां ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें दूसरे के बकाया राशि को दूसरे से भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। विभागीय सहित अनेक कॉलोनी में रहने वाले कई लोग कालान्तर में निवास छोड़कर जा चुके हैं। इनके निवास रहने के दौरान जो भी विद्युत का समस्या रही है, उसका निराकरण एक तो नहीं किया गया और दूसरा नियमित रूप से बिल प्रदान नहीं करने के कारण बिल के इंतजार में बकाया राशि बढ़ती गई। अब किसी शख्स जिसने उस घर को छोड़ दिया या वहां से चला गया, तो आने वाले दूसरे परिवार पर पुराने राशि के बकाया बिल को भुगतान करने के लिए दबाव डाले जाने के भी मामले सामने आए हैं। दूसरे के नाम पर जारी मीटर/खराब मीटर और अनिराकृत मामलों की राशि का भुगतान दूसरा क्यों कर करे? इन मामलों का निराकरण कैसे होगा? ऐसे अनेक कारण हैं जिनके कारण अनिराकृत मामलों की संख्या बढ़ती गई है। इसके अलावा सरकारी योजनाओं में विद्युतीकरण के लिए मीटर लगाने का काम बिजली विभाग ने किया है। आंख बंद कर मीटर लगा दिए गए लेकिन बिजली की सप्लाई नहीं हुई। मीटर लगाने के बाद उसका जो वैधानिक शुल्क है उसका भुगतान का संकट उत्पन्न हुआ। ना तो संबंधित विभाग के द्वारा भुगतान किया जा रहा है और ना ही जिन सरकारी संस्थानों में मीटर लगाए गए हैं, वहां से कोई भुगतान प्राप्त हो रहा है। ऐसे में बिजली विभाग पर ही बकाया का बोझ बढ़ता स्वाभाविक है। इस तरह के मामले आंगनबाड़ी केन्द्रों,सामुदायिक भवनों को लेकर अधिकतर सामने आए हैं। यहां कुछ वर्ष पहले विद्युतीकरण के नाम पर रेगुलर मीटर लगवाए गए लेकिन ना तो बिजली पहुंची और नहीं केंद्र रोशन हुए किंतु मीटर लगाने के बाद उसका एवरेज बिल तो शुरू हो गया। इस एवरेज बिल की अदायगी आखिर कौन करे और बिजली विभाग किससे वसूल करेगा? विद्युत बिल की बकाया राशि बढ़ने के इस तरह से अनेक कारण देखे और समझे जा सकते हैं।