नईदिल्ली, २० दिसम्बर।
पाकिस्तान के लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल को विकसित करने के कार्यक्रम के मद्देनजर अमेरिका ने गुरुवार को उस पर नए प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका का मानना है कि परमाणु हथियार संपन्न पाकिस्तान ने अगर लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल बना ली तो वह विश्व के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।पाकिस्तान ने अमेरिकी निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण और भेदभाव वाला बताया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, ये प्रतिबंध पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट काम्प्लेक्स (एनडीसी) और तीन कंपनियों पर लागू होंगे। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य बड़ी संख्या में होने वाली जनहानि को रोकना है। प्रतिबंधों के लागू होने के बाद प्रतिबंधित कॉम्प्लेक्स और कंपनियों की अमेरिका में स्थित संपत्ति जब्त हो जाएगी और वे अमेरिका से प्रत्यक्ष या परोक्ष कारोबार नहीं कर पाएंगी। इसी प्रकार से उनके जुड़े लोग भी अमेरिका की यात्रा नहीं कर पाएंगे। एनडीसी के अतिरिक्त जो तीन कंपनियां अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में आई हैं उनके नाम- एफिलिएट्स इंटरनेशनल, अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड और राकसाइड इंटरप्राइज हैं। ये तीनों कंपनियां कराची की हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार इस्लामाबाद स्थित एनडीसी लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल का विकास कार्यक्रम तेज गति से चलाने और उसके परीक्षण के लिए आवश्यक उपकरणों को प्राप्त करने की लगातार कोशिश कर रहा है।एनडीसी पाकिस्तान के बैलेस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को चलाने वाला संस्थान है। उसने ही शाहीन संस्करण की मिसाइलें विकसित की हैं। एटोमिक साइंटिस्ट्स रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि शाहीन मिसाइलें परमाणु हथियार लेकर हमला करने में सक्षम हैं। चीन के सहयोग से चल रहा पाकिस्तान का मिसाइल प्रोग्राम भारत लक्षित है।
भारत के लिए अपनी मिसाइल तकनीक के निर्यात से जुड़े कानून में संशोधन करने का संकेत अमेरिका ने मंगलवार को डिप्टी एनएसए जोनाथन फाइनर, उप विदेश मंत्री कुर्ट एम कैंपबेल और भारत के राजदूत विनय क्वात्रा के बीच जानसन स्पेस सेंटर में बैठक के दौरान दिया है। बैठक के बाद जारी सूचना में कहा गया, ‘दोनों देशों के उद्योगों के बीच नए अवसर पैदा करने के लिए मिसाइल तकनीक निर्यात में समीक्षा का काम आगे बढ़ रहा है। इसका एक उद्देश्य दोनों देशों की कंपनियों के बीच अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण में सहयोग करना भी है।’सनद रहे कि दशकों तक अमेरिका भारत के मिसाइल कार्यक्रम का विरोधी रहा है और उसकी वजह से ही भारत लंबे समय तक मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) का सदस्य नहीं बन सका। बाद में जब अमेरिका के साथ रिश्तों में सुधार हुआ, तब वर्ष 2016 में भारत इस समझौते का सदस्य बना। अब जबकि दोनों देशों के बीच सैन्य, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे रणनीतिक क्षेत्रों सहयोग प्रगाढ़ होता जा रहा है तो अमेरिका अब मिसाइल तकनीक भारत को साझा करने को तैयार है। अमेरिका ने यह बात तब कही है कि जब भारत के साथ वह अंतरिक्ष रक्षा सहयोग को प्रगाढ़ करने को तैयार हो गया है।वर्ष 2025 भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय अंतरिक्ष सहयोग के लिए नए युग की शुरुआत करेगा। असलियत में अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम में जो स्थान अब भारत को दिया जा रहा है, वैसा सहयोग वह किसी और देश के साथ स्थापित नहीं कर रहा। एक तरफ भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्रियों को अमेरिकी अंतरिक्ष यान व दल के साथ अंतरिक्ष में भेजने की योजना का अंतिम चरण चल रहा है। अगले वर्ष इसके लिए एक्सिओम-4 नाम से अंतरिक्ष मिशन लांच किया जाएगा।दूसरी ओर, भारत रूस के साथ मिल कर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के कार्यक्रम को तेज किए हुए है। इस तरह से दोनों धुर विरोधी वैश्विक ताकतों के साथ भारत करीबी अंतरिक्ष सहयोग स्थापित करने वाला इकलौता देश है। अमेरिका और भारत मिलकर अंतरिक्ष सेक्टर के अपने स्टार्टअप को भी आपस में सहयोग करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं।