रोग को जड़ से समाप्त करने का है सिद्धांत : डॉ. नागेंद्र
कोरबा.आधुनिक जीवनशैली और औद्योगिक विकास के साथ, लोगों का रुझान एक बार फिर पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की ओर बढ़ रहा है। आयुर्वेद, जो सदियों से भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का अभिन्न अंग रहा है, आज फिर से अपनी प्रासंगिकता सिद्ध कर रहा है। विशेष रूप से, औद्योगिक प्रदूषण से जूझ रहे क्षेत्रों में, आयुर्वेद लोगों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है, और कोरबा इसका एक जीवंत उदाहरण है।
कोरबा में औद्योगिक गतिविधियों के कारण, यह जिला वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर का सामना कर रहा है। इस प्रदूषण का सीधा असर यहां के निवासियों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, और श्वसन संबंधी बीमारियां आम होती जा रही है। ऐसे में, कोरबा के लोग अब राहत और स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद की ओर रुख कर रहे हैं।
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में लोगों का विश्वास लगातार मजबूत हो रहा है। इसके पीछे ठोस वैज्ञानिक सिद्धांत और प्रभावी परिणाम है। जहाँ आधुनिक चिकित्सा पद्धतियां अक्सर लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करती है, वहीं आयुर्वेद बीमारी के मूल कारणों को दूर करने पर जोर देता है। यह समग्र दृष्टिकोण, जिसमें जीवनशैली में बदलाव, आहार, और प्राकृतिक औषधियों का उपयोग शामिल है, प्रदूषण जनित बीमारियों से जूझ रहे लोगों को विशेष रूप से आकर्षित कर रहा है। कोरबा के निहारिका क्षेत्र में महानदी व्यवसायिक परिसर में स्थित पतंजलि चिकित्सालय, इस बदलाव का एक जीता जागता उदाहरण है. पिछले कई वर्षों से संचालित यह चिकित्सालय, लोगों को मुफ्त परामर्श सेवा प्रदान कर रहा है। यहां आने वाले रोगियों को आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार उपचार दिया जाता है। चिकित्सालय के संचालक डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा बताते हैं, आयुर्वेद का मूल सिद्धांत शरीर के दोषों को संतुलित करना है। हम सबसे पहले शरीर को शुद्ध करते हैं, विषाक्त पदार्थों को निकालते हैं, और उसके बाद चिकित्सा शुरू करते हैं. वे आगे कहते हैं कि ईश्वर की कृपा और आयुर्वेद की शक्ति से, मरीज अक्सर आश्चर्यजनक रूप से जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं। आधुनिक चिकित्सा के आगमन से पहले, भारत में आयुर्वेद ही एकमात्र सहारा था जब लोग बीमार पड़ते थे और यह प्रणाली सदियों से लोगों को स्वस्थ रखने में सफल रही है.आज, जब लोग आधुनिक चिकित्सा की सीमाओं को महसूस कर रहे हैं, और प्राकृतिक, समग्र उपचारों की तलाश कर रहे हैं, तो आयुर्वेद एक बार फिर से अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहा है। लोग अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं, और आयुर्वेद के ज्ञान में निहित स्वास्थ्य और कल्याण के मार्ग को अपना रहे हैं।