कोरबा। लगता है कि रेलवे के साथ-साथ सीएसईबी और बालको प्रबंधन या तो लोगों के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं या फिर किसी गंभीर हादसे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसलिए शारदा विहार रेलवे क्रासिंग की दशा को ठीक करने पर उनका ध्यान नहीं है। क्रासिंग पर छोटे-बड़े गड्ढों की उपस्थिति से वाहनों को पार होने में कठिनाई हो रही है। हर दिन यहां लोगों के चोटिल होने का सिलसिला बना हुआ है।शारदा विहार क्षेत्र में स्थित रेलवे क्रासिंग लंबे समय से समस्यामूलक बनी हुई है जिसने हजारों लोगों को मुश्किल में डाल दिया है। 24 घंटे इस रास्ते से होकर छोटे-बड़े वाहन और आम लोगों का आना-जाना होता है। भारत एल्यूमिनियम कंपनी और डीएसपीएम 500 मेगावाट बिजली घर को एसईसीएल की खदानों से कोयला की आपूर्ति रेलवे द्वारा की जा रही है। दिन भर में कई रैक कोयला यहां से होकर बिजली घरों में पहुंच रहा है। मालगाड़ी के दबाव के कारण शारदा विहार क्रासिंग पर किए गए इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। सडक़ समपार में रेलवे ट्रैक को व्यवस्थित करने और जन सुविधा के लिए जो विकल्प दिया गया है उसमें क्रैक आने से गड्ढों की उपस्थिति बन गई है। ऐसे में आने-जाने के दौरान छोटी-बड़ी गाडिय़ां यहां फंसने के साथ गिर जाती है। अब तक कई लोग चोटिल हो चुके हैं।  अलग-अलग स्तर पर रेल प्रशासन, उद्योग प्रबंधन और संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाए जाने के बावजूद सडक़ पर खतरे के निशानों को समाप्त करने के लिए न तो काम किया जा रहा है और न ही मानसिकता बनाई जा रही है। इसे देखते हुए अटकलें लगाई जा रही है कि शायद किसी बड़ी दुर्घटना की प्रतीक्षा जिम्मेदार अधिकारी कर रहे हैं ताकि इसके बाद रेलवे क्रासिंग को सुधारने के लिए जरूरी काम किया जा सके।रेल प्रबंधन के द्वारा कोरबा रेलखंड में पदस्थ किए गए एआरएम को आसपास की समस्याओं से कोई मतलब नहीं रह गया है। जनहित से जुड़ी समस्याओं पर जानकारी लेने के लिए फोन करने पर अधिकारी चीजों को अनसुना कर रहे हैं। यही कारण है कि अलग-अलग मौके पर नागरिक संगठन लापरवाह अफसरों पर भड़ास निकालने से नहीं चुकते।